शिमला। हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के 455 स्कूलों में नियमित शिक्षक नहीं हैं। इसके अलावा 3148 स्कूल ऐसे हैं जो केवल मात्र एक- एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी अनदेखी के चलते कभी पहले स्थान पर रहा हिमाचल अब लुढ़क कर 11वें स्थान पर पहुंच गया है।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान बुधवार को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी का मामला प्रमुखता से उभरा। भाजपा ने सरकार से मांग की कि स्कूलों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विधानसभा में विपक्ष द्वारा शिक्षा को लेकर लाए गए कटौती प्रस्ताव पर स्वीकार किया कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में कभी पहले स्थान पर था, लेकिन आज शिक्षकों की कमी से 11वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्तमान में हजारों की संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व की जयराम सरकार के कार्यकाल में चार वर्षों में मात्र दो कॉलेज खोले गए, जबकि अंत के कुछ माह में भी करीब 24 कॉलेज खोल दिए। जो संस्थान बंद हुए हैं, उसमें वही हैं जो इनके कार्यकाल के अंतिम चार-पांच माह में खुले थे।
रोहित ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के साथ इसकी तुलना करें तो वर्ष 2013-17 के अप्रैल माह तक लगभग 42 कॉलेज खोले थे। इसके बाद लगभग 17 कॉलेज अंतिम वर्ष में खोले गए। आपकी सरकार ने इन 17 कॉलेजों में से 11 कॉलेज चालू रखे।
विधायक रणधीर शर्मा ने बंद किए गए संस्थानों को खोलने की मांग की और इसके कारण आ रही समस्याओं को सदन में रखा। उन्होंने कहा पूर्व सरकार द्वारा खोले गए शिक्षण संस्थानों के लिए बजट का प्रावधान था। उनमें छात्र पढ़ने लगे थे।
रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सिर्फ छात्रों की संख्या देखी है, दूरी नहीं देखी। ग्रीष्मकालीन स्कूल अप्रैल में खुलते हैं। इनके लिए 15 अप्रैल तक का समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि सरकार शिक्षण संस्थानों को बंद करने की अधिसूचना वापस ले।