शिमला । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी का कहना है कि प्रदेश सरकार सामाजिक कल्याणकारी राज्य
माकपा के 15 वें राज्य सम्मेलन में राज्य सचिव राकेश सिंघा ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि 13 वें वित्त आयोग के मापदंडों को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में बहुत सारे पदों को मृत संवर्ग घोषित कर दिया है, जिसके चलते सेवाओं की गुणवत्ता में भारी कमी आई है।
उन्होंने कहा कि सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में सहायक अभियंताओं के 21 प्रतिशत, कनिष्ठ अभियंताओं के 26 प्रतिशत तथा बेलदारों के 18 प्रतिशत पद खाली हैं। इसके इलावा पंप संचालकों के 391 (11 प्रतिशत), सहायकों के 2,568 (83 प्रतिशत), फीटर के 371 (23 फीसदी) तथा बेलदारों के 8,041 (62प्रतिशत) पदों को मृत संवर्ग घोषित कर दिया गया है। इनमें अधिकतर कर्मचारी अगले पांच वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उठाऊ जल योजनाओं में तो स्थिति और भी खराब है। वहां देखभाल वाले कर्मचारियों के अभाव के कारण ट्रांसफार्मरों एवं पंपिंग मोटरों की चोरियों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अभी भी दूरदराजी गांवों में पेयजल की आपूर्ति के लिये पर्याप्त स्टाफ नहीं है। अनेक भागों में सप्ताह में एक बार ही पानी आता है। पानी की स्कीमें खराब हो जाएं तो उन्हें ठीक होने में हफ्तों लग जाते हैं तथा स्कीमें खंडहरों में बदलती जा रही हैं। शहरों ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की पंपिंग और वितरण का काम निजी ठेकेदारों को दिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि यही हालत बिजली आपूर्ति के मामले में भी हैं। राज्य बिजली बोर्ड में भी कनिष्ठ अभियंताओं के 18 प्रतिशत, क्लर्क एवं मीटर रीडरों के 54 प्रतिशत तथा टी मेट के 38 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं। अपर्याप्त स्टाफ के कारण ही इस बर्फबारी में भी अनेक क्षेत्र अभी भी अंधेरे में हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं की हालत भी बदतर हैं। हिमाचल पथ परिहन निगम के सभी 23 डिपुओं में हर समय औसतन 10 रूट स्थायी या अस्थाई रूप से निलंबित रहते हैं। यहां परिचालकों के 682 तथा यांत्रिक कर्मचारियों के 730 पदों की कमी चल रही है। चालकों के भी हाल ही में 203 पद अनुबंध पर भरे गए हैं।
राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत और भी चिंताजक है। चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी के कारण दूरदराजी क्षेत्रों में तो लोग इलाज के लिए झाड़फूंक या देवी-देवताओं के आशीर्वाद पर ही निर्भर हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ के करीब 4500 पद रिक्त पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि अन्य विभागों में भी यही हालत है। कृषि विभाग में कृषि विकास अधिकारियों के 58 प्रतिशत पद खाली हैं। बागवानी विभाग में भी बागवानी विकास अधिकारियों के 44 प्रतिशत तो बागवानी प्रसार अधिकारियों के 26 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। इसी प्रकार पशुपालन विभाग में वरिष्ठ पशुपालन अधिकारियों के 24 फीसदी, पशुपालन फार्मासिस्ट के 9 प्रतिशत तथा पशुपालन सहायकों के 19 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं।
राकेश सिंघा ने अपनी रिपोर्ट में इसके अतिरिक्त प्रदेश की आर्थिक, राजनीतिक औद्योगिक और पार्टी संगठन की स्थिति पर भी विस्तार से वर्णन किया है। बुधवार को सम्मेलन में प्रदेश भर से आए 245 डेलिगेटों ने इस रिपोर्ट पर चर्चा की।