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पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत पहुंची पहली ही खेप सड़ी हुई निकली। गेहूं तो इस कदर गला सड़ा था कि उसे मवेशियों को खिलाना भी खतरे से खाली नहीं। अनाज की हालत देख कर उपभोक्ताओं में भारी आक्रोश फैल गया और अंततः प्रशासन ने सस्ता गल्ला दुकानों से अनाज वापस उठा लिया।
जिले में पहली बार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का राशन पहुंचा था। जुलाई और अगस्त माह का राशन एक साथ वितरित हुआ। दुकानों में जब राशन पहुंचा तो अधिकांश बोरियों में गेहूं बुरी तरह सड़ा हुआ था। उपभोक्ताओं में फैले आक्रोश की खबरें मीडिया में फैलते ही प्रशासन और पूर्ति विभाग में हड़कंप मच गया। उपभोक्ताओं का कहना था कि सस्ते राशन के नाम पर सरकार उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। गोदामों में सड़ चुका राशन गरीबों के मत्थे मढ़ा जा रहा है।
जिलाधिकारी एचसी सेमवाल के निर्देश पर जिला पूर्ति अधिकारी एमके वर्मन के नेतृत्व में पूर्ति विभाग के अधिकारियों ने पांच दर्जन से अधिक दुकानों में खाद्यान्न का निरीक्षण किया। जिला पूर्ति अधिकारी ने स्वीकार किया कि कुछ दुकानों तक सड़ा हुआ गेहूं पहुंचा था, जिसे तत्काल दुकानों से उठा कर गोदाम में पहुंचा दिया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग को राशन ऐंचोली स्थित भारतीय खाद्य निगम के गोदाम से मिलता है। बंद बोरियों में रखे खाद्यान्न की सही स्थिति का पता दुकानों में पहुंचने के बाद ही चलता है।
उधर, जिलाधिकारी एचसी सेमवाल का कहना है कि जिले में सड़ा राशन बिकने पर संबंधित पूर्ति निरीक्षक के खिलाफ कठोर कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। यदि किसी रिटेलर ने सड़ा राशन बेचा तो उसके खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम को पत्र भेज कर जिले के लिए अच्छे खाद्यान्न की आपूर्ति करने को कहा है।
वहीं सस्ता गल्ला दुकानदारों का कहना है कि गोदाम से उन्हें बोरियां में बंद राशन मिलता है। गोदाम से 52 किलो के हिसाब से बोरी मिलती है, जो दुकान में तौले जाने पर 47 किलो की ही निकलती है। कुछ बोरियों में तो राशन ठीक रहता है, जबकि अधिकांश में सड़ा हुआ अनाज निकल रहा है। विभाग की इस कारस्तानी का खामियाजा सस्ता गल्ला रिटेलरों को भुगतना पड़ रहा है। रिटेलर उपभोक्ताओं के गुस्से का शिकार बन रहे हैं।