चम्पावत। उत्तराखंड में बेशकीमती सार्वजनिक संपत्तियों को कूड़े में बदलते देख हर कोई माथा पीट लेता है, लेकिन
चम्पावत व आसपास का इलाका फल, आलू, तथा अन्य सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी है। तत्कालीन यूपी सरकार ने किसानों के उत्पादों को शीत भंडारण की सुविधा देने के लिए वर्ष 1986 में ताड़केश्वर में कोल्ड स्टोर बनाने का निर्णय लिया था। एक वर्ष बाद सरकार ने इसके लिए 77.77 लाख रुपये का बजट भी स्वीकृत कर दिया। वर्ष 1992 में पूर्व निर्धारित बजट से 9 लाख रूपये अधिक खर्च कर कोल्ड स्टोर का निर्माण कर लिया गया। इस 480 कमरों वाले छह मंजिला भवन की भंडारण क्षमता दो हजार मीट्रिक टन थी। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई सरकारें आईं और गईं। इस दौरान नेताओं को फोकस मात्र कुर्सी तक सिमट कर रह गया और आम जनता के मुद्दे गौण हो गए। इसी कारण यह कोल्ड स्टोर भी पिछले 23 वर्षों में बिना उपयोग के पड़ा रहा। कृषक जनप्रतिनिधियों ने जब –जब भी नेताओं के सामने यह मुद्दा उठाया तो हर बार यह कह कर टाल दिया गया कि इसमें कुछ और मशीनों की दरकार हैं। मशीनें आते ही इसे आरंभ कर दिया जाएगा। ..और इसी तरह धीरे-धीरे यह इमारत क्षेत्र में भूतहा हवेली सी बन कर रह गई।
उत्तराखंड के सत्ताधीशों ने इस मुद्दे से पीछा छुड़ाने के लिए कोल्ट स्टोर को कई बार दूसरों के मत्थे मढ़ने का भी प्रयास किया। वर्ष 1993 में उद्यान विभाग ने इस कोल्ड स्टोर को कुमाऊं मंडल विकास निगम को हस्तांतरित कर दिया था। वहां भी कोई उपयोग नहीं हुआ तो राज्य बनने के बाद 2004 में उद्यान विभाग ने इसे मैसर्स यूए एग्रोकूप को लीज पर दे दिया। इस कंपनी के राज्य छोड़ने के बाद लर्ष 2009 से यह कोल्ड स्टोर अब विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंसाधन संस्थान अल्मोड़ा के पास है, लेकिन इसकी हालत जस की तस रही तथा स्थानीय किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
सूत्रों का कहना है कि कोल्ड स्टोर तो क्या प्रशासन इससे संबंधित कागजात तक संभाल कर नहीं रखा पाया है। पुराने जानकारों की कहना है कि यह कोल्ड स्टोर बनाने के लिए उद्यान विभाग ने पीटर इंडियन क्रिश्चन मिशन से 19 नाली सात मुठ्ठी जमीन खरीदी थी। लेकिन बताया जाता है कि इस समय विभाग के पास जमीन के बैनामे व दाखिल खारिज संबंधी कोई प्रपत्र तक उपलब्ध नहीं है।