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देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी उपेक्षा के कारण इस बार लाखों मनरेगा मजदूरों की दिवाली फीकी रही। मजदूर पिछले कई माह से मजदूरी के भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद थी कि सरकार दिवाली पर तो भुगतान कर ही देगी, लेकिन केंद्र से राशि नहीं मिलने के कारण मायूसी ही हाथ लगी। संबंधित कानून के अनुसार मनरेगा मजदूरों को 15 दिन के भीतर भुगतान अनिवार्य किया गया है, लेकिन इस कानून की अब कोई परवाह नहीं कर रहा।
नैनीताल जनपद के बेतालघाट ब्लॉक की 77 ग्राम पंचायतों में पिछले दो माह से 950 मनरेगा मजदूरों का लगभग 60 लाख रुपये का भुगतान लटका हुआ है। अल्मोड़ा जिले में ताड़ीखेत विकास खंड में 11 हजार जॉब कार्डधारक मजदूर भी पिछले कई माह से भुगतान के लिए तरस रहे हैं। ये दो ब्लॉक तो मात्र उदारहण है। वास्तव में पूरे प्रदेश में ही मनरेगा मजदूर इसी हालत में रहने को मजदूर हैं, जिनकी संख्या लाखों में हो सकती है।
देहरादून स्थित नोडल बैंक पर प्रदेश भर के ब्लॉक मुख्यालयों से भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन केंद्र से पैसा नहीं मिलने के कारण बैंक ने हाथ खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां देश भर में दिवाली धूमधाम से मनाई गई, लेकिन उत्तराखंड के मनरेगा मजदूरों के आंसुओं पर किसी का भी ध्यान नहीं गया।
बेतालघाट के बीडीओ राजेंद्र राम आर्य ने पूछने पर बताया कि विकासखंड में दो माह से मनरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं हो पाया है। केंद्र से बजट नहीं मिलने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
ताड़ीखेत के बीडीओ चंद्रराज ने बताया कि देहरादून स्थित नोडल बैंक में केंद्र से धनराशि नहीं पहुंची है, जिस कारण सभी जिलों में मनरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं किया जा सका है। राशि आने के बाद ही मजदूरों के खातों में राशि पहुंच पाएगी।