मंडी। हिमाचल प्रदेश में सरकारी शिक्षण संस्थान ‘बिन गुरू ज्ञान’ के लिए चर्चित हो रहे हैं। यहां हजारों की संख्या में शिक्षण संस्थान ऐसे हैं, जहां शिक्षकों के
मंडी जिला शिक्षकों के रिक्त पदों के मामले में पहले स्थान पर है, जबकि कांगड़ा दूसरे स्थान पर है। कुल्लू जिला में एक तिहाई स्कूल ऐसे हैं, जहां गणित के अध्यापक नहीं हैं। परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को भी गुणाभाग करने में दिक्कतें आ रही हैं।
शिक्षा के प्रति सरकार के उपेक्षित रवैये के कारण प्रदेश के सरकारी स्कूलों में इस समय शास्त्री शिक्षकों के स्वीकृत 555, भाषा अध्यापकों के 785, कला अध्यापकों के 850, शारीरिक शिक्षकों के 1345, गृह विज्ञान शिक्षक के 119, संगीत शिक्षक के 12, योग शिक्षक के 5, पंजाबी विषय शिक्षक के 28 और उर्दू शिक्षकों के 66 पद रिक्त पड़े हैं। इसीसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब नौनिहालों को पढ़ाने के लिए स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हों तो शिक्षा का स्तर प्रदेश में क्या होगा।
मंडी जिला में सीएंडवी शिक्षकों के सबसे अधिक 613 पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार बिलासपुर जिला में 224, चंबा में 227, हमीरपुर में 331, कांगड़ा में 509, किन्नौर में 56, कुल्लू 274, लाहुल-स्पीति में 84, शिमला में 497, सिरमौर में 440, सोलन में 213 और ऊना जिला में 297 पद रिक्त पड़े हैं।
सीएंडवी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष चमन लाल शर्मा का कहना है कि प्रदेश में सीएंडवी शिक्षक वर्ग के 3700 से अधिक पद रिक्त पड़े होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार को रिक्त पदों को भरने के लिए तुरंत ध्यान देना चाहिए।
एलिमेंटरी शिक्षा के निदेशक अशोक शर्मा कहते हैं, ‘विभाग ने स्कूलों में सीएंडवी शिक्षकों के रिक्त पदों की सूची तैयार कर ली है। हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड के द्वारा और बैचबाइज रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।’