सोलन। हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक विकास अत्यंत लापरवाह तरीके से चल रहा है। उद्योगपति न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की परवाह करते हैं और न ही फायर
उल्लेखनीय है कि फायर एक्ट के तहत किसी भी उद्योग की स्थापना से पूर्व उसे अग्निशमन विभाग की एनओसी लेना अनिवार्य है। विभाग के मानकों में उद्योग में बिजली का ट्रांसफार्मर भवन से लगभग 50 फुट की दूरी पर होना चाहिए। औद्योगिक इकाई के पास ज्वलनशील व रासायनिक गैस या तरल पदार्थों के लिए अलग से स्टोर व खुला क्षेत्र आवश्यक है और यह स्टोर हवादार होना चाहिए तथा आग लगने की स्थिति में वहां कार्यरत कामगारों को बाहर निकालने के लिए अलग से निकासी मार्ग भी होना आवश्यक है। इसके अलावा उद्योग में फायर हाइड्रेंड, वाटर स्टोर टैंक और प्रोजेक्ट स्थल तक सड़क निर्माण के अलावा आपात स्थिति से निपटने की तैयारी और प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था भी जरूरी है। अग्निशमन विभाग इन सारे मानकों की पुष्टि के बाद ही उद्योगों को एनओसी जारी करता है, लेकिन उद्योगपति इस सब की कोई परवाह नहीं कर रहे।
औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में इस समय छोटे-बड़े 532 उद्योग चल रहे हैं, जिनमें अन्य राज्यों व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब 6500 लोग कार्य कर रहे हैं। यहां स्थापित महज 40 फीसद फैक्टरी मालिक ही नियमों की पालना कर रहे हैं, जबकि 60 फीसद उद्योगों ने फायर एक्ट के तहत अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं ली है, जबकि कई उद्योगों ने अनापत्ति की समयसीमा समाप्त होने के बाद इसे रिन्यू नहीं करवाया है। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तय मानकों के हिसाब से भी लगभग दस फीसद औद्योगिक इकाइयां डिफाल्टर हैं। यहां कई स्थानों पर एक भवन में ही पांच-छह लघु इकाइयां कार्य कर रही हैं, जिनमें से कइयों ने जाली दस्तावेज के आधार पर कमर्शियल की जगह बिजली के घरेलू कनेक्शन ले रखे हैं।
उद्योग विभाग के सदस्य सचिव आत्माराम वर्मा से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि नियमों की अनदेखी करने वाले सभी उद्योगों को नोटिस दिए जा रहे हैं। शीघ्र ही परवाणू औद्योगिक संघ के साथ बैठक भी की जाएगी, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस व फायर ब्रिगेड को भी शामिल करके औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा के मानकों के प्रति सचेत किया जाएगा।
परवाणू के अग्निशमन अधिकारी हंसराज ठाकुर का कहना है कि अधिकतर उद्योगपति पहले तो विभाग की एनओसी लेने में ही रुचि नहीं दिखाते और जो लोग एक बार अनापत्ति प्रमाण ले भी लेते हैं, वे भी उसे दूसरे वर्ष रिन्यू नहीं करवाते। उन्होंने बताया कि परवाणू में पहले 25 फायर हाईड्रेंड थे, जिनमें अब दो ही चालू हालत में हैं।