उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों की आहट पाते ही कांग्रेस व भाजपा के विकल्प के रूप में तीसरे मोर्चे ने फिर से आकार लेना शुरू कर दिया है। नाम दिया गया है-उत्तराखंड संयुक्त क्षेत्रीय मोर्चा। इस मोर्चे में उक्रांद (पी), सीपीआई, सीपीएम, रक्षा मोर्चा, परिवर्तन पार्टी, जनवादी पार्टी आदि दल एकजुट हो रहे हैं।
संयुक्त क्षेत्रीय मोचा की एक बैठक उक्रांद (पी) के अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार की अध्यक्षता में हुई, जिसमें विचार विमर्श के बाद विधानसभा चुनाव के लिए 14 सूत्रीय साझा न्यूनतम कार्यक्रम जारी किया। बैठक का संचालन भुवन पाठक ने किया। सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के विजय रावत, रक्षा मोर्चा के मंजूर बेग, परिवर्तन पार्टी के राजीव कोठारी, जनवादी पार्टी के सूरत सिंह चौहान, हरिजिंदर सिंह, गुरचरन सिंह, संजय कोठियाल और शीशपाल सिंह बिष्ट आदि भी मौजूद थे।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम में मोर्चा ने खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त भाजपा और कांग्रेस के कार्यकाल में हुए घोटालों की सीबीआई जांच कराने, जनता की भावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने, पर्वतीय क्षेत्र में बढ़ रही भूमि की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश की तरह भू कानून बनाने, मुख्यमंत्री, मंत्री तथा विधायकों को बिना किसी शर्त के लोकपाल के दायरे में लाने, पीपीपी मोड में दिए गए सार्वजनिक उपक्रमों को वापस लेने आदि की बातें साझा कार्यक्रम में कही गई हैं।
बैठक में स्वामी निगमानंद की मृत्यु के मामले पर भी खूब चर्चा हुई और कहा गया कि इसके लिए खनन माफिया और राजनेता जिम्मेदार हैं। स्वामी शिवानंद के अनशन को समर्थन देने के साथ-साथ धार्मिक ट्रस्टों, आश्रमों एवं अन्य संस्थाओं को लीज में दी गई जमीनों को वापस लेने की मांग भी की गई। बताया गया है कि सीटों के आवंटन और चुनावी रणनीति तय करने के लिए शीघ्र ही मोर्चा की और बैठकें होंगी।