मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने शुक्रवार को नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों- जयनगर, गुज्जरहट्टी और रतवाड़ी में अपने दूसरे चरण के चुनावी दौरे के दौरान भाजपा प्रत्याशी गुरनाम कौर के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान आरोप लगाया कि केंद्र की यूपीए सरकार विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में खेल रही है। गत दिवस बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में रिटेल आउटलेट खोलने की इजाजत देकर तो इस सरकार नेे सबको हैरान ही कर दिया है, जबकि पूरा विपक्ष इसके विरुद्ध था।
उन्होंने कहा कि सभी मीडिया चैनल और समाचार पत्र यूपीए सरकार के इस निर्णय की आलोचना से भरे पड़े हैं। केंद्र का यह निर्णय देश में बेरोजगार युवाओं और छोटे व्यवसायियों के हितों पर जबरदस्त प्रहार है। उन्होंने कहा कि वाजपेयी के नेतृत्व वाली पूर्व एनडीए सरकार द्वारा दिए रियायती औद्योगिक पैकेज की अवधि को केंद्र की यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 से घटाकर मार्च 2010 तक करने पर हिमाचल के साथ बड़ा भेदभाव किया है। यूपीए सरकार में महंगाई और भ्रष्टाचार ने सारी सीमाएं लांघ दी हैं, जिससे आम आदमी का जीना दूभर हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिवंगत विधायक हरिनारायण सैणी नालागढ़ के सच्चे हितैषी थे। उनके कार्यकाल में नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में रिकार्ड विकास हुआ है। यहां सड़कों का बड़ा नेटवर्क सृजित हुआ है, जिससे क्षेत्र के फल एवं सब्जी उत्पादकों को अपने उत्पाद बाजार तक पहुंचाने में सुविधा मिली है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 के बाद जब भाजपा सत्ता में आई तो ही हिमाचल ने असली विकास देखा। कांग्रेस पार्टी अपने 50 वर्ष के कार्यकाल में विकास के मामले में पूरी तरह असफल रही। प्रो. धूमल ने मतदाताओं का आह्वान किया कि वे स्वर्गीय विधायक हरिनारायण सैनी की धर्मपत्नी गुरनाम कौर को भारी मतों से विजयी बनाएं ताकि नालागढ़ में विकास की गति प्रभावित न हो।
भाजपा प्रत्याशी गुरनाम कौर ने भी इस अवसर पर लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस चुनाव में उनकी जीत ही दिवंगत विधायक हरिनारायण सैणी को लोगों की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस दौरान भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेशाध्यक्ष पंडित खीमीराम, नालागढ़ उपचुनाव के पार्टी प्रभारी एवं बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा, पूर्व मंत्री रुपसिंह ठाकुर, भाजपा के प्रदेश सचिव प्रवीण शर्मा, अर्की के विधायक गोबिन्द राम और नालागढ़ मंडल भाजपा अध्यक्ष बलदेव ठाकुुर भी उनके साथ थे।