शिमला। हिमाचल प्रदेश के जाने माने वरिष्ठ कवि एवं आलोचक श्रीनिवास श्रीकान्त के 75वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर रविवार को शिमला
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में वरिष्ठ लेखक रामदयाल नीरज ने कहा कि श्रीनिवास श्रीकान्त ने अपने पहले संग्रह ‘नियति, इतिहास और जरायु’ के माध्यम से पाठकों का ध्यान आकृष्ठ किया था। उन्होंने कहा कि वे 1975 में श्रीनिवास जी के सम्पर्क में आए और उनकी विलक्षण सृजनात्मक प्रतिभा से रूबरू हुए। नीरज ने कहा कि श्रीनिवास गिरिराज और हिमप्रस्थ के सम्पादन से लम्बे समय तक जुड़े रहे और उन्होंने नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया। नीरज ने कहा कि साहित्य के प्रति उनका रुझान व अनुराग श्रीनिवास श्रीकान्त के कारण ही हुआ।
आलोचक डॉ. हेमराज कौशिक ने श्रीनिवास श्रीकान्त के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं क्योंकि कवि के रूप में प्रतिष्ठित होने के साथ-साथ एक कुशल संपादक तथा आलोचना के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। तुलसी रमण ने उनकी पुस्तक ‘चट्टान पर लड़की’ पर विवेचनात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस भूूण्डलीकरण का सघन दौर अब आया है श्रीनिवास के कवि को करीब चार दशक पहले इसकी भनक थी। उन्होंने आगे कहा कि श्रीनिवास एक जन्मजात कवि हैं। उनकी कविता सहज प्रवाह से आती है। असल में श्रीनिवास श्रीकान्त का रचनाकार कला विधाओं का कोलाज है। श्री आत्मा रंजन, अवतार एनगिन और मधुकर भारती ने भी उनकी रचनाओं पर चर्चा की।
संगोष्ठी के आयोजक एसआर हरनोट ने कहा कि श्रीनिवास श्रीकांत एक अंतराल के चिंतन के बाद पुन: अपनी सक्रिय रचनात्मकता की ओर लौटे हैं और यह हम सभी को आश्चर्यचकित भी करता है कि पिछले तीन सालों में उनके तीन कविता संग्रह-बात करती है हवा, घर एक यात्रा है, हर तरफ समंदर है, के अतिरिक्त कथा में पहाड़ जैसा संपादित वृहद् कथा-ग्रन्थ और एक आलोचना पुस्तक ‘गल्प के रंग’ प्रकाशित हुए हैं।
कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए इरावती के संपादक राजेन्द्र राजन ने श्रीनिवास श्रीकान्त के हिन्दी साहित्य में योगदान को एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि वे हिमाचल के पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने कविता के इलावा अन्य सभी विधाओं में समान रूप से काम किया। राजेन्द्र राजन ने मंच संचालन भी किया। इस अवसर पर श्रीनिवास श्रीकान्त ने तरन्नुम में अपनी गजलें व गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। गोष्ठी में उपस्थित लेखकों में केशव, अवतार एनगिल, बद्रीसिंह भाटिया, अरविन्द रंचन, ओम भारद्वाज, तेजराम शर्मा, आरसी शर्मा, अरूण भारती, रजनीश, इन्द्रपाल, कुलराजीव पंत, नीता अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, अश्विनी गर्ग और निर्मला शर्मा थे।
कवि श्रीनिवास श्रीकान्त का नागरिक अभिनंदन
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