नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए शेल्टर होम (बालिका गृह) रेप केस में पीड़ित बच्चियों ने न्यायिक दंडाधिकारी के सामने अपनी जो दर्दभरी दास्तान सुनाई है, उससे सभी के रौंगटे खड़े हो गए। मेडिकल जांच में बालिका गृह की 41 बच्चियों के साथ रेप होने की पुष्टि हुई है। इनमें छह वर्ष से 16 वर्ष की बच्चियां शामिल हैं।
इस कांड में कुछ सफेदपोशों का हाथ भी सामने आ रहा है, जिन्हें बचाने के लिए नीतिश सरकार पूरा प्रयास करती रही है। विपक्ष और मीडिया द्वारा मामला जोरशोर से उठाए जाने पर अंततः सरकार को सीबीआई जांच के आदेश देने पड़े हैं।
दस वर्षीय एक बच्ची ने न्यायिक दंडाधिकारी को बताया कि, “शाम को जैसे ही सूरज डूबता था, सभी लड़कियां भयभीत हो जाती थीं। लड़कियों को आतंक के साये में हर तरह का अमानवीय कृत्य सहन करना पड़ता था।”
पीड़ित बच्चियों ने इस मामले में तीन लोगों के नाम लिए हैं। एक को वो ‘नेताजी’, दूसरे को ‘हंटरवाला अंकल’ और तीसरे को ‘मूंछवाला अंकल’ कहती हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग रोज उनके साथ रेप करते थे। कहा जा रहा है कि ‘नेताजी’ बिहार सरकार में मंत्री मंजू वर्मा का पति चंद्रशेखर वर्मा है, जबकि ‘हंटरवाला अंकल’ बालिका गृह का संचालक ब्रजेश ठाकुर है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। तीसरे ‘मूंछवाले अंकल’ की पहचान की जा रही है।
एक लड़की ने बताया, “हम रोज किरण मैडम को इस बारे में बताते थे और उसे बचाने की गुहार लगाते थे, लेकिन वह हमारी बातें अनसुना कर देती थीं।” उल्लेखनीय है कि किरण सहित तीन महिलाओं को बालिका गृह में बच्चियों की देखरेख के लिए रखा गया था। उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
एक अन्य पीड़ित लड़की ने न्यायिक दंडाधिकारी को बताया कि, “मेरे साथ एनजीओ के लोगों और कई बाहरी लोगों ने कई बार रेप किया। अकसर मैं कई- कई दिनों तक चल भी नहीं पाती थी। कई बार मुझे बालिका गृह से बाहर भी ले जाया गया और अगले दिन वापस लाया जाता था।”
बिहार में जेडीयू- भाजपा गठबंधन सरकार के लिए बालिका गृह रेप कांड बड़ी मुसीबत बन गया है। विपक्षी दल आरजेडी और कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से त्यागपत्र की मांग की जा रही है।