कुल्लू। कुल्लू जिला में विलुप्तता की कगार पर पहुंच चुकी ऐतिहासिक बावड़ियों और सरोवरों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य था, जिसमें से 51 बनकर तैयार हो चुके हैं। इनसे अब साथ लगते क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज हो रहे हैं। सरकार की ओर से अब फिर 65 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य मिला है।
आनी के रघुपुर गढ़ में ग्राम पंचायत फनौटी ने भी रघपुर गढ़ में करीब 600 साल पुरानी तीन बावड़ियों को संवार कर अनुकर्णीय कार्य किया है। राजाओं के समय की इन बावड़ियों की लंबाई और चौड़ाई लगभग छह से सात मीटर है।
इन ऐतिहासिक बावड़ियों की हालत बदतर हो चुकी थी। पंचायत ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत करीब एक लाख रुपये से तीनों बावड़ियों को दुरुस्त कर उसमें जल का संरक्षण सुनिश्चित किया। अब इन बावड़ियों से कई लोगों को भरपूर लाभ मिल रहा है। लकड़ी से बनी इन बावड़ियों का पानी देव स्नान के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है।
पंचायत ने इसके साथ ही एक बड़े तालाब का भी निर्माण किया है, जिससे आसपास के क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज हो रहे हैं। इस कार्य में लगभग दो माह का समय लगा। हाल ही में कुल्लू के उपायुक्त और एडीएम ने भी क्षेत्र का दौरा कर बावड़ियों के संरक्षण पर प्रसन्नता जताई है।
रघुपुर गढ़ पर्यटन की दृष्टि से भी काफी अहम है। सरयोलसर के लिए कई देवी- देवता यहीं से होकर जाते हैं। ये बावड़ियां सड़क से लगभग चार किलोमीटर दूरी पर हैं।
डीआरडीए कुल्लू की परियोजना अधिकारी डा. जयवंती ठाकुर ने बताया कि अभी तक बनाए गए अमृत सरोवरों में से आनी के रघपुर गढ़ में करीब 600 साल पुरानी बावड़ियों को पंचायत फनौटी ने संरक्षित किया है। अमृत सरोवर और बावड़ियों में सराहनीय कार्य हुआ है।
उन्होंने बताया कि कुल्लू के कोटासेरी, भूमतीर, भुंतर के बजौरा, जेष्ठा, रैला पीणी में दो, तलपीणी में दो, नग्गर के गाहर में दो, बांदल में दो, हुरंग में पांच, निरमंड के बाहवा में तीन, कुश्वार में चार, पोशना, त्वार में दो, बंजार के खाबल में दो, श्रीकोट, बनोगी में चार, आनी के लझेरी में दो, खणी में सात, कोहिला में दो, फनौटी में दो, खणी, खनाग में दो, लझेरी में अमृत सरोवर बनाए गए हैं। इनके बनने से साथ लगते क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोत बेहतर ढंग से रिचार्ज हो रहे हैं।