शिमला। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के चालकों- परिचालकों की हालत सचमुच दयनीय है। न रात्रि भत्ते का भुगतान हो रहा है, न बकाया एरियर मिला है, न संशोधत वेतनमान की किस्त मिली और अब तो वेतन के लिए भी तरसना पड़ रहा है। परिवहन कर्मी दिन रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रबंधन घाटे की बात कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
एचआरटीसी चालक-परिचालक ऑपरेशनल स्टाफ यूनियन ने मंगलवार को अपनी मांगों के संबंध में ढली कार्यशाला के बाहर आयोजित गेट मीटिंग में सर्वसम्मति से फैसला लेकर सरकार को मांगें मानने के लिए 7 मई तक का अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है कि मांगें नहीं मानने पर उसके बाद वे बसों की रात्रि सेवाएं ठप्प पर देंगे।
एचआरटीसी की बसें प्रदेश भर में करीब 1,200 रात्रि रूटों पर चलती हैं। इनमें प्रमुखतः पड़ोसी राज्यों- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और जम्मू के लिए हैं। 7 मई के बाद इन रूटों पर बसों का संचालन बंद हो सकता है।
यूनियन के अध्यक्ष मेहर चंद कश्यप ने मीटिंग के बाद मीडिया को बताया कि निगम के 11,000 चालकों- परिचालकों को पिछले 42 माह से रात्रि भत्ते का भुगतान नहीं हुआ है और इस माह तो 11 तारीख बीतने तक भी वेतन नहीं मिला है। कर्मचारियों को बहुत दयनीय स्थिति में जीवन यापन करना पड़ रहा है।
यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रेम सिंह ठाकुर ने बताया कि रात्रि भत्ते के अलावा ओवर टाइम का भुगतान भी लंबित है। कर्मियों को संशोधित वेतनमान का न तो एरियर मिला, न ही संशोधित वेतनमान की पहली किस्त जारी हुई है। कर्मचारियों के ये सारे वित्तीय लाभ प्रबंधन ने रोक रखे हैं। बार-बार आग्रह के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। इसी कारण यूनियन को मजबूरन संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन घाटे का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है, जबकि हकीकत यह है कि कर्मचारी दिन- रात मेहनत कर रहे हैं और घाटे का कारण प्रशासनिक कुप्रबंधन है।
गेट मीडिंग के दौरान कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। इस मौके पर लोकल यूनिट के अध्यक्ष शेष राम, प्रधान मनोज कुमार, सचिव शशिकांत सहित अन्य कर्मी मौजूद रहे।