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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को पेट्रोल की कीमतों में साढ़े सात रुपये प्रति लीटर की अभूतपूर्व बढ़ोतरी की घोषणा की है। कीमतें आधी रात से लागू हो जाएंगी। रुपये के गिरते हुए स्तर के कारण तेल की कीमतों में इतनी अधिक बढ़ोतरी की गई है। पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने मंगलवार को ही कहा था कि तेल की कीमतें बढ़ाने की सख्त जरुरत है। सरकार ने वर्ष 2010 में तेल की कीमतों पर से नियंत्रण हटा लिया था जिसके बाद से पेट्रोल की कीमतें बाजार के हिसाब से तय होती हैं। पिछले साल नवंबर में तेल की कीमतें बढ़ी थीं।
अब तक पिछले दो वर्षों में तेल की कीमतों में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। रुपये की कीमत में गिरावट इसका एक बड़ा कारण है। डीजल, केरोसीन और कुकिंग गैस की कीमतें पिछले साल जून में बढ़ाई गई थीं।
जयपाल रेड्डी का कहना था, ”अगर रुपये की कीमतें गिरती रहती हैं तो हमारी तेल कंपनियों को भारी नुकसान होता रहेगा। अभी ही रुपया 55 के स्तर पर पहुंच गया है। तेल कंपनियों को करोड़ों का नुकसान हो चुका है। इसलिए तेल की कीमतें बढ़ानी जरुरी हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में तेल की कीमतें बढ़ी तो हैं, लेकिन शायद यह पहली बार है जब तेल की कीमतों में एक ही बार में साढ़े सात रुपये की बढ़ोतरी की गई है। माना जा रहा है कि इससे महंगाई और बढ़ेगी। जनता पहले से ही मंहगाई की मार से परेशान है।
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि जब पूरी दुनिया में तेल के दाम घट रहे हैं तो भारत में इसे क्यों बढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ”सरकार में प्लानिंग की कमी है। इसी कारण दाम बढ़ रहे हैं। सरकार को दाम नहीं बढ़ाने चाहिए थे। हमें भी विश्वास में नहीं लिया गया। हम इसका विरोध करेंगे। देश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ी है।”
कांग्रेस पार्टी ने तेल के दाम बढ़ाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि तेल कंपनियां बड़े घाटे का सामना कर रही हैं। पार्टी के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, ” रुपये की कीमत घट गई है। तेल कंपनियों की हालत खराब है। वो स्वतंत्र है अपने फैसले करने के लिए। भारत सरकार का कीमतों की बढ़ोतरी से लेना देना नहीं है।”