देहरादून (गोपेश्वर)। पहाड़ी संस्कृति में जल, जंगल और जमीन को हमेशा से भगवान का दर्जा देते हुए पूजा गया है। पहाड़ी लोग प्रकृति से अपनी
गोपेश्वर में पपडिय़ाणा क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस बार जंगल में घास काटने से पूर्व वन पूजा और पौधारोपण की अनूठी परंपरा शुरू की है। पर्यावरण प्रेमी मुरारी लाल के नेतृत्व में वीरवार को शुरू की गई इस पहल के समय बड़ी संख्या में ग्रामीणों सहित पद्मश्री चंडी प्रसाद भट्ट ने भी हिस्सा लिया।
दरअसल, पपडिय़ाणा क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमी एवं कार्यकर्ता मुरारी लाल (75) की कड़ी मेहनत से क्षेत्र में खूबसूरत मिश्रित वन लहलहा रहा है। अब तक ग्रामीण घास काटने से पहले यहां पेड़ों पर राखियां बांधते थे, लेकिन इस वर्ष से उन्होंने इस जंगल में घास काटने से पूर्व वन पूजा व पौधारोपण की परंपरा शुरू कर दी है ताकि हरियाली में कोई कमी न आने पाए।
गुरुवार को पद्मश्री चंडी प्रसाद भट्ट, पर्यावरण प्रेमी मुरारी लाल के अलावा पपडिय़ाणा के ग्रामीणों ने पोखरी बैंड के निकट जंगल में वन पूजा की। इस पूजा में गांव की महिलाओं ने भी भाग लिया। पूजा के बाद प्रत्येक व्यक्ति ने एक-एक पौधा भी रोपा और उसके बाद जंगल में घास काटी। इस अवसर पर यह भी निर्णय लिया गया कि जंगल में जितने वृक्ष कम हो रहे हैं उनकी संख्या बराबर करने के लिए ग्रामीण समय-समय पर पौधारोपण करते रहेंगे।
वन पंचायत सरपंच बीएस पंवार ने इस अवसर पर ग्रामीणों का आह्वान करते हुए कहा कि मुरारी लाल ने जिस जंगल का निर्माण किया है, उसे हरा भरा रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में रंजना देवी, दुर्गा देवी, सीता देवी, जयंती देवी सहित कई ग्रामीण शामिल थे। ग्रामीणों के इस कार्य की दूर-दूर तक प्रशंसा हो रही है।
घास काटने से पूर्व वन पूजा की अनूठी परंपरा
Advertisement