देहरादून। यहां मांडूवाला स्थित वैंकीज इंडिया लिमिटेड के पोल्ट्री फार्मों में लंबे समय से अमानवीय स्थिति में काम करने को मजबूर श्रमिकों
इन पोल्ट्री फर्मों के मजदूरों ने मीडिया के सामने जो कहानी बयान की उसके अनुसार मजदूरों को काम करते हुए डेढ़ से दो दशक हो चुके हैं, लेकिन उनकी पगार 4000 रुपये प्रति माह से आगे नहीं बढ़ी। मुर्गियों की गंदगी उठाते-उठाते अधिकांश श्रमिक एलर्जी से पीडि़त हैं। उन्हें काम के लिए न दस्ताने मिलते हैं और न मेडिकल की कोई सुविधा। उन्हें कोई भी राष्ट्रीय अवकाश नसीब नहीं है और इस बार तो उन्हें मतदान के लिए भी छुट्टी नहीं दी गई। पानी जब सिर से ऊपर गुजरने लगा तो उन्होंने पोल्ट्री फार्म हैचरी मजदूर कर्मचारी यूनियन वैंकीज इंडिया लि. के बैनर तले मंगलवार को राजधानी देहरादून में प्रबंधन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया
यूनियन के अध्यक्ष रंजीत सिंह, मंत्री प्रेमपाल, पूर्व मंत्री पवन लखेड़ा आदि का कहना था कि वे अपने साथ हो रहे अन्याय के बारे में कई बार आवाज उठा चुके हैं, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनीं।
उन्होंने बताया कि बीती सात सितंबर को सहायक श्रमायुक्त एनसी कुलाश्री ने वैंकीज प्रबंधन को मांडूवाला स्थित पोल्ट्री फार्मों में कार्यरत श्रमिकों की कार्यदशा, कार्य अवधि, वार्षिक वेतन वृद्धि समेत अन्य समस्याओं के निदान के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। परिणामस्वरूप अब उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाने का मजबूर होना पड़ा है।
पशु कल्याण बोर्ड की सदस्य एवं पशु क्रूरता निवारण समिति की सचिव पूजा बहुखंडी के मुताबिक वैंकीज पोल्ट्री फार्मों में न सिर्फ श्रमिकों का शोषण किया जा रहा, बल्कि पर्यावरण को भी हानि पहुंचाई जा रही है। साथ ही जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ का आरोप भी लगाया है। कंपनी परिसर में गंदगी का साम्राज्य है, जिससे आसपास का वातावरण दूषित हो रहा है।
पोल्ट्री फार्मों के श्रमिकों का अमानवीय शोषण
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