देश में महंगाई सारे रिकार्ड तोड़ती जा रही है, जिससे गरीबों का जीना दूभर हो गया है। आम जनता के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत दालों की कीमतें तो आसमान ही छू चुकी हैं। कुव्यवस्था के चलते एक ओर
हजारों, लाखों टन अनाज खुले आसमान के नीचे सड़ रहा है तो दूसरी ओर गरीब जनता भुखमरी की शिकार है। ऐसी स्थिति को हमारे सामने पत्रकार खबरों द्वारा, छायाकार चित्रों द्वारा, कविगण कविताएं लिखकर और विपक्षी नेतागण भाषणों द्वारा व्यक्त करते हैं। अभिव्यक्ति की ऐसी ही विधाओं में एक मजबूत कड़ी हैं- कार्टूनिस्ट। प्रस्तुत है विख्यात कार्टूनिस्ट आनंद सिंह राजपूत की नजर में बढ़ती महंगाई:-