शिमला। चिकित्सा अधिकारियों को अब आकस्मिक अवकाश के अलावा किसी भी तरह की छुट्टी के लिए सचिवालय
प्रदेश सरकार ने हाल ही में अधिसूचना जारी कर स्वास्थ्य निदेशक को निर्देश दिए हैं कि आकस्मिक अवकाश के अलावा किसी भी अवकाश की अनुमति निदेशालय से न दी जाए और छुट्टी के सभी मामलों को पहले सचिवालय भेजा जाए।
सूत्रों का कहना है कि चिकित्सा के क्षेत्र में स्टाफ की कमी को देखते हुए डाक्टरों की बेवजह छुट्टियों पर रोक के लिए यह कदम उठाया गया है। कई क्षेत्रों से चिकित्सकों द्वारा बेवजह लंबी छुट्टियों पर जाने की शिकायतें भी आ रही थीं। इसके कारण दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी को देखते हुए डाक्टरों की मनमानी को रोकने के लिए यह नई व्यवस्था की गई है। उधर, चिकित्सकों ने इस नई व्यवस्था को असुविधाजनक बताया है।
हिमाचल मेडिकल आफिसर्स एसोसिएशन के प्रधान डाक्टर संत लाल शर्मा का कहना है कि अभी तक अवकाश की मंजूरी की पावर स्वास्थ्य निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी और चिकित्सा अधिकारियों के पास थी। इससे चिकित्सकों को अवकाश लेने में परेशानी नहीं होती थी, लेकिन नई अधिसूचना के अनुसार अब चिकित्सकों को छोटी-छोटी बातों के लिए सचिवालय दौड़ना पड़ेगा। एसोसिएशन के सदस्यों ने इन अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही एसोसिएशन ने मई में जारी दो और सूचनाओं को भी रद्द करने की मांग की है।
एसोसिएशन के महासचिव डाक्टर जीवानंद चौहान ने कहा कि मई में जारी इस अधिसूचना के अनुसार चिकित्सा अधिकारियों को खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का भी काम दे दिया गया है, जबकि चिकित्सा अधिकारी क्लास वन में आते हैं और उन्हें जो काम सौंपा गया, वह क्लास थ्री का है। एसोसिएशन ने सरकार से इस अधिसूचना को रद्द करने का आग्रह किया है।