शिमला। किन्नौर जिले के शौंगटोंग परियोजना से निकाले गए मजदूरों की बहाली को लेकर सीटू और माकपा नेताओं ने शुक्रवार को शिमला में पावर कारपोरेशन कार्यालय में घुस कर एमडी को बंधक बना लिया और जमकर नारेबाजी की। वामपंथी नेताओं ने दोपहर तीन बजे से लेकर देर रात तक भी जब एमडी को कमरे से बाहर नहीं जाने दिया तो एसपी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और उन्हें किसी तरह वहां से निकाला।
सीटू और माकपा नेताओं की मांग है शौंगटोंग प्रोजेक्ट से गैरकानूनी रूप से निकाले गए करीब 900 मजदूरों को वापस काम पर रखा जाए और पिछले कई माह से देय ओवरटाइम, वेतन, पीएफ आदि का भुगतान किया जाए। आंदोलनकारी परियोजना निर्माता पटेल कंपनी के अधिकारियों के इंतजार में कार्यालय में देर रात तक डटे रहे। इस दौरान उन्हें बताया गया कि कंपनी के प्रतिनिधि 24 या 25 फरवरी को वार्तालाप करेंगे, लेकिन वे इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें अभी मौके पर बुलाया जाए।
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सीटू के राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा और माकपा के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा ने आरोप लगाया कि सरकार की शह पर प्रोजेक्ट प्रबंधन लगातार मजदूर विरोधी नीतियां अपनाए हुए है, जबकि अदालत ने भी आदेश दिया है कि कंपनी हटाए गए मजदूरों को वापस काम पर रखे। उन्होंने कहा कि मजदूर पिछले करीब एक वर्ष से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार और कंपनी प्रबंधन कानून की परवाह किए बिना अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों में सीटू के राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, माकपा के पूर्व राज्य सचिव एवं पूर्व विधायक राकेश सिंघा, सीटू एवं माकपा नेतागण- जगत राम, बिहारी सेवगी, सूर्य प्रकाश नेगी, संजय, जीवन, मदन दिनेश, फालमा चौहान, आशु सोनिया, किशोरी डढवालिया, बलबीर पराशर सहित करीब ढाई सौ मजदूर और कार्यकर्ता शामिल थे।