बॉम्बे हाईकोर्ट ने टाइम्स नाउ चैनल पर 100 करोड़ का जुर्माना लगाया है, जिसने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। भारतीय प्रेस परिषद के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने टाइम्स नाओ पर लगे मानहानि के एक मुकदमे में लगाए गए इस जुर्माने को गलत ठहराया है और कहा है कि इस पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि 100 करोड़ रुपये का जुर्माना चैनल से हुई गलती को देखते हुए जरूरत से ज्यादा है।
टाइम्स नाओ ने गाजियाबाद प्रॉविडेंट फंड घोटाला मामले की खबर दिखाते वक्त जस्टिस पीके सामंत की तस्वीर की जगह जस्टिस पीबी सावंत की तस्वीर दिखा दी थी। बाद में इस गलती के लिए चैनल ने बार-बार माफी भी मांगी थी।
लेकिन देश में चैनलों पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को लेकर इस मुद्दे से एक बहस पैदा हो गई है कि मीडिया को नियंत्रित करने के लिए कोई बाहरी नियामक संगठन होना चाहिए या फिर मीडिया स्वयं ही अपनी जिम्मेदारी तय करे।
बुधवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर मीडिया पर अंकुश लगाने की बहस एक बार फिर गरमा गई, जब उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रेस परिषद के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने एक नियामक प्राधिकरण बनाने की पैरवी कर डाली।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि किसी सरकारी नियामक की अनुपस्थिति में मीडिया संस्थानों की ओर से आत्म नियंत्रण पर जोर देने की जरूरत और बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सभी संबंधित पक्षों की राय लेने के बाद मीडिया नियमन के विभिन्न पहलुओं पर श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए।
हामिद अंसारी ने कहा कि मीडिया की ओर से स्व-नियमन या सरकारी नियमन से काम नहीं चलेगा बल्कि इसकी जगह एक अलग तरह की व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें सभी पक्षों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो और मीडिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
इस मौके पर अपनी राय रखने वालों में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री राजीव शुक्ला, द हिंदू समूह के प्रमुख संपादक एन राम, वरिष्ठ पत्रकार सईद नकवी और जफर आग़ा प्रमुख थे और इनमें से ज़्यादातर लोगों की राय यही थी कि मीडिया की ओर से स्व-नियमन की कोशिशों का अपेक्षित नतीजा नहीं निकला है।
हालांकि सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी की राय एकदम अलग थी। उन्होंने कहा कि मीडिया को नियंत्रित करने के लिए बाहरी नियामक इकाई के गठन की बजाए सबसे अच्छी बात ये होगी कि मीडिया खुद अपना नियमन करे।
उन्होंने ये भी कहा कि जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने एक महत्वपूर्ण चर्चा छेड़ी है, लेकिन सरकार इस महत्वपूर्ण विषय पर पहले से ही विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ने एक मंत्रियों का समूह भी बनाया है जिसके अध्यक्ष वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी हैं और पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, शरद पवार जैसे मंत्री इसके सदस्य हैं और जो एक बेहतर रोडमैप बनाने के बारे में विचार कर रहे हैं।
उन्होंने मीडिया की ओर से बनाए गए दो नियामक संगठन न्यूज ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) और ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेन्ट्स काउंसिल (बीसीसीसी) का उल्लेख करते हुए कहा कि इन दोनों स्व-नियामक इकाइयों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि मीडिया जो कुछ भी दिखा रहा है, उसे पूरा देश देख रहा है, इसलिए पर्याप्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।