Reports and analysis based on folk culture and life philosophy of Himachal Pradesh, Uttarakhand and other adjoining hill states.
कुल्लू। कुल्लू जिले में मणिकर्ण घाटी के कसोल में देवता नारायण के दो सौ साल पुराने भंडार गृह के पुनर्निर्माण की बुधवार को विधिवत प्रतिष्ठा कर दी गई। इस अवसर पर स्थानीय देवता नारायण, याज्ञवल द... Read more
चमोली (गोपेश्वर)। शीतकाल शुरू होते ही चमोली जिले के गांवों में पांडव नृत्य का अनूठा नजारा देखने को मिलता है। इसमें स्थानीय कलाकार युधिष्ठर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव का रूप धारण कर परंपरागत... Read more
उत्तरकाशी। भीषण ठंड, चार से पांच फुट तक की बर्फ और मानव जीवन के लिए एकदम विपरीत हालात। गंगोत्री घाटी की शीतकाल में तस्वीर कुछ ऐसी ही रहती है। तीर्थाटन से लेकर पर्यटन सहित हर तरह की मानवीय गत... Read more
देहरादून (गोपेश्वर)। उत्तर भारत के प्रख्यात तीर्थ चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। मुख्य पुजारी प्रयागदत्ता भट्ट ने बुधवार को प्रात:कालीन पूजा के बाद मंदिर... Read more
नाहन। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अनूठी पहाड़ी संस्कृति के दर्शन होते हैं। कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में बसे लोगों व समुदायों में कहीं बहुपत्नी प्रथा तो कहीं बहुपति प्रथा देखने को मि... Read more
बागेश्वर। उत्तराखंड में बागेश्वर जिले के तहत मां कोट भ्रामरी मंदिर में पशुबलि को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों में टकराव के आसार बनते जा रहे हैं। प्रशासन ने मंदिर में पशु बलि रोकने के लिए बु... Read more
टिहरी गढ़वाल। भिलंगना प्रखंड के दल्ला गांव में परंपरा के अनुसार तीन साल बाद जब कुल देवता नागराजा बाहर निकले तो क्षेत्र में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। इस अवसर पर अन्य गांवों के देवी-देवता भी... Read more
किन्नौर। भौगोलिक एवं सांस्कृतिक भिन्नताओं वाले हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में लोगों के कानूनी अधिकारों में भी भिन्नताएं देखने को मिलती हैं। कहीं बहुपत्नी प्रथा है तो कहीं बहुपति प्रथा। प... Read more