दीपू के लच्छन बचपन से ही ठीक नहीं थे। तायी कहतीं- “कहीं कनस्तर भी बज रहा हो तो दीपू सबसे पहले तमाशा देखने वहां पहुंच जाता। तूरियों की संगत में रहकर पूरा तूरी ही बन गया है।” ताई चाहती थीं कि... Read more
दीपू के लच्छन बचपन से ही ठीक नहीं थे। तायी कहतीं- “कहीं कनस्तर भी बज रहा हो तो दीपू सबसे पहले तमाशा देखने वहां पहुंच जाता। तूरियों की संगत में रहकर पूरा तूरी ही बन गया है।” ताई चाहती थीं कि... Read more
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