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देहरादून। उत्तराखंड में पत्रकारों के लिए कुछ राहत देने वाली खबरें हैं। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की उपसमिति की सिफारिश पर सरकार ने पहाड़ से प्रकाशित होने वाले पत्रों को विशेष दर्जा देने और विज्ञापन नियमावली में संशोधन पर सहमति जताई है। सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु के पत्रकारों को पेंशन देने की योजना पर भी काम कर रही है। पत्रकारों के हित में कुछ और निर्णय लिए जाने की भी चर्चाएं हैं।
प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की उपसमिति के सदस्यों ने वीरवार को सचिव (सूचना) विनोद शर्मा और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर मीडिया से जुड़ी शिकायतों को उनसे साझा किया। उपसमिति ने पर्वतीय क्षेत्रों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों विशेष दर्जा देने का भी अनुरोध किया। सचिव (सूचना) विनोद शर्मा ने बताया कि इसके लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी सहमति दे दी है।
बैठक में उपसमिति के संयोजक गुरिंदर सिंह ने कहा कि सूचना विभाग को डीएवीपी की विज्ञापन नियमावली में दी गई व्यवस्थाओं का पालन सुनिश्चित कराना चाहिए। इस पर विनोद शर्मा ने कहा कि प्रिंट विज्ञापन नियमावली पत्रकारों के हित में बनाई गई है। फिर भी उपसमिति के निर्देशों के अनुरूप संशोधन कराए जाएंगे। समिति के सदस्य पीके दास ने प्रदेश में अब तक प्रेस व विज्ञापन मान्यता समिति गठित नहीं होने का मुद्दा उठाया। यह भी शिकायत की कि रोडवेज की बसों में जिला स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रदेश से बाहर निशुल्क यात्रा की सुविधा नहीं दी जा रही है। सचिव (सूचना) ने बताया कि मान्यता समितियों के गठन के लिए पत्रकार संगठनों से सूचनाएं मांगी गई थी। सूचनाएं नहीं मिलने के कारण ही इसमें विलंब हुआ है। जल्द ही समितियों का गठन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय मान्यता प्राप्त पत्रकारों को प्रदेश से बाहर निशुल्क यात्रा के संबंध में भी संशोधित शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।
विनोद शर्मा ने यह भी बताया कि पत्रकारों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति मामलों में चालू वित्त वर्ष में 25 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पत्रकारों के लिए पेंशन योजना पर भी काम चल रहा है। बैठक में अपर निदेशक (सूचना) डा. अनिल चंदोला, सहायक निदेशक नितिन उपाध्याय, सूचना अधिकारी अजय मोहन सकलानी आदि भी मौजूद थे।