नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू नोटबंदी किसानों, दुग्ध उत्पादकों और गरीब मजदूरों के लिए तबाही लेकर आई है। नकदी की किल्लत के कारण देश भर में ही किसानों के उत्पाद मंडियों में नहीं बिक पा रहे हैं और न ही गरीब मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। किसानों को मंडियों से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। गुस्साए किसान अपने उत्पाद सड़कों पर बिखेर कर नाराजगी व्यक्त रहे हैं। देश भर में दुग्ध उत्पादक अभी तक लाखों लीटर दूध सड़कों पर बहा चुके हैं। किसान लाखों टन टमाटर, आलू व अन्य उत्पाद हाईवे पर बिखेर कर बार-बार जाम लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
उल्लेखनीय है कि इसी तरह की परेशानियों के चलते देश में अभी तक लगभग पांच लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आशंका है कि आने वाले समय में आत्महत्याओं का यह सिलसिला और जोर पकड़ेगा। आप भी देखिये नोटबंदी के कारण देश में किसानों की बरबादी की कहानी तस्वीरों की जुबानीः
धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More
कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More
फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More
रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More
शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More