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गरीबों को राहत के लिए माकपा की अनूठी पहल- श्रमजीवी बाजार

कोलकाता। कोरोना आपदा और आसमान छूती महंगाई के बीच भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पश्चिम बंगाल में गरीबों को राहत देने के लिए एक अनूठी पहल की है। राज्य में जगह-जगह सस्ती ‘श्रमजीवी कंटीन’ से हुई यह शुरुआत अब सस्ते ‘श्रमजीवी बाजार’ का रूप ले चुकी है। यह ‘श्रमजीबी बाज़ार’ उपभोक्ताओं को तो राहत दे ही रहा है साथ ही रोजगार का सृजन भी कर रहा है। ‘श्रमजीबी कैंटीन’ की तर्ज पर इसके संचालन के लिए भी छात्र, युवा, महिला और मजदूर संगठन के कार्यकर्ता आगे आये हैं।

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श्रमजीबी बाज़ार पश्चिम बंगाल में अपनी खोयी हुई ज़मीन वापस हासिल करने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीएम नित्य नये प्रयोग कर रही है। जनता के सवालों पर लगातार संघर्ष जारी रखने के साथ ही अब वह उसे राहत पहुंचाने के भी उपायों पर काम कर रही है। आम तौर पर जिन कामों को सरकार का माना जाता है, उन्हें विपक्ष में रहने के बावजूद अपने हाथ में ले रही है। भले अभी यह छोटे स्तर पर ही हो।

जादवपुर में सीपीएम ने पहली ‘श्रमजीबी कैंटीन’ शुरू की, जहां सिर्फ 20 रुपये में आम आदमी भरपेट और पौष्टिक खाना खा सकता है। बहुत से अक्षम लोगों को तो मुफ्त में भी खाना दिया जाता है। पार्टी का यह प्रयोग काफी कामयाब रहा है और हर दिन यहां से बड़ी संख्या में मजदूर, कामगार, छोटा- मोटा रोजगार करने वाले लाभान्वित हो रहे हैं। जादवपुर से शुरू हुआ यह प्रयोग अब राज्य में कई जगहों पर पहुंच चुका है। नये-नये रूपों में।

सीपीएम ने अब कोलकाता महानगर और उसके उपनगरीय क्षेत्रों में कई जगहों पर ‘श्रमजीवी बाज़ार’ खोले हैं। ये किसी आम किराना स्टोर की तरह ही हैं, मगर यहां चीजें बाज़ार दर से सस्ती मिलती हैं। मकसद यह है कि खाने-पीने की जो चीजें मुनाफोखोरी की वजह से कम आमदनी वाले लोगों की पहुंच से बाहर हो रही हैं, उन्हें उनकी पहुंच में लाया जा सके। मुख्य रूप से अभी इन बाजारों के जरिये साग- सब्जियां बेची जा रही हैं।

सीपीएम का एक ‘श्रमजीबी बाज़ार’ हाल ही में कोलकाता की मशहूर कुम्हार टोली के मदनमोहन तला के सामने खुला है, जो देखते ही देखते आसपास के लोगों में काफी लोकप्रिय हो गया है। यहां चीजें सस्ती मिलती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वैरायटी की कोई कमी है। इस बाज़ार में 25 से 30 किस्म की सब्जियां उपलब्ध रहती हैं। आलू, प्याज, लहसुन, मिर्ची, अदरक से लेकर तरोई, लोबिया, कुम्हड़ा, लौकी, गोभी और तरह-तरह के साग मिलते हैं। आजकल जब सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं और बाज़ार में उनकी कीमत 60 से 120 रुपये किलो हो गयी है, यहां आपको वो 20- 25 रुपये किलो तक सस्ती मिल जायेंगी। तुलनात्मक रूप से जो सब्जियां बाज़ार में कुछ सस्ती हैं, उनकी कीमत में भी आपको यहां 5 से 10 रुपये किलो का फर्क मिलेगा। ऐसे में, आसपास रहनेवाले निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए ‘श्रमजीबी बाज़ार’ बढ़ती महंगाई और कोरोना महामारी से खस्ताहाल रोजी-रोजगार के बीच बड़ी राहत लेकर आया है।

खरीदारी के लिए यहां आनेवाले लोगों का कहना है कि एक तो यहां दाम कम रहते हैं, और साथ में अच्छी बात यह है कि कोई घटतौली भी नहीं होती। आम सब्जी बाजारों में वजन में गड़बड़ी एक बड़ी समस्या है।

बेरोजगारों को रोजगारः ‘श्रमजीबी बाज़ार’ उपभोक्ताओं को तो राहत दे ही रहा है, साथ ही रोजगार का सृजन भी कर रहा है। ‘श्रमजीबी कैंटीन’ की तर्ज पर इसके संचालन के लिए भी छात्र, युवा, महिला और मजदूर संगठन के कार्यकर्ता आगे आये हैं। एक तरह से यह पार्ट टाइम काम की तरह है। रोज सुबह सात से 11 बजे तक यह बाज़ार चलता है। खरीदारों की भीड़ उम्मीद से बढ़कर हो रही है।

‘श्रमजीबी बाज़ार’ के संचालन से जुड़े लोगों का कहना है कि बाज़ार में जहां 60-65 रुपये किलो प्याज बिक रहा है, वहीं इस बाज़ार में इसकी कीमत 40 रुपये किलो है। 35 रुपये किलो वाला आलू यहां 30 में। कार्यकर्ता दीपांजन मित्र की स्मृति में खुले इस बाज़ार का 23 सितंबर को उद्घाटन किया गया। फिलहाल सप्ताह में चार दिन यह बाज़ार खोला जा रहा है।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीपीएम नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से आम आदमी की जिंदगी और भी दुश्वार हो गयी है। सभी चीजों के दामों में आग लगी हुई, लेकिन तृणमूल के शासन में राशन और राहत के पैसों की चोरी चल रही है। उधर केंद्र की भाजपा सरकार देश की कृषि व्यवस्था को कॉरपोरेट के हवाले करने में लगी है। किसानों को एक तरफ अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा, तो दूसरी तरफ गरीब और मध्यवर्गीय लोग महंगाई की चक्की में पिस रहे हैं। किसानों को भी फायदा हो और उपभोक्ताओं को भी चीजें उचित मूल्य पर मिलें, इसी दिशा में एक छोटी सी कोशिश है ‘श्रमजीबी बाज़ार’।

‘दीपांजन मित्र श्रमजीबी बाज़ार’ के उद्घाटन के मौके पर विधानसभा में विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती समेत कई सीपीएम नेता उपस्थित थे। इस दौरान सीपीएम के नेता सुदीप सेनगुप्त ने कहा कि किसानों को अपनी उपज की लागत तक मिलना मुश्किल होता है और बिचौलिये जेबें भरते हैं। श्रमजीबी बाज़ार किसानों को अच्छा दाम दिला रहा है और उपभोक्ताओं को आसमान छूती कीमतों से बचा रहा है। उन्होंने तृणमूल सरकार पर युवाओं को रोजगार देने में विफल बताते हुए राज्य में बेरोजगारी चरम पर होने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस बाज़ार का एक अन्य बड़ा उद्देश्य इलाके के बेरोजगारों के लिए काम-धंधा जुटाना है। इसके अलावा इसके जरिये सरकार को यह संदेश दिया जा रहा है कि जो काम सरकार को करना चाहिए वह वामपंथी कर रहे हैं। (साभार: न्यूज़क्लिक)

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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