देशभर में गाय के नाम पर जो गुण्डागर्दी और कत्लोगारत मची हुई है, वह आज किसी से भी छिपी नहीं है। ‘गौ-रक्षक गुण्डे’ मोदी के सत्ता में आने के बाद बेखौफ घूम रहे हैं और नयी- नयी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इन घटनाओं पर देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी पूरी बेशर्मी से चुप्पी धारण किये रहे और जब दुनियाभर में थू- थू होने लगी तो दो बार बयान दिया कि- ‘गौरक्षा के नाम पर गुण्डई बर्दाश्त नहीं की जायेगी।’ मगर गौ-गुण्डों को भी पता है कि ये सब बयान दूसरों को सुनाने के लिए हैं। इसीलिए गाय के नाम पर हत्याएं और गुण्डागर्दी लगातार जारी है। इन्हें सरकारी शह हासिल होने के कारण लगभग सभी घटनाओं में पुलिस की भूमिका मूकदर्शक वाली बनी हुई है और कहीं- कहीं तो पुलिस खुद ‘दोषियों’ को गौ-गुण्डों के हवाले कर रही है।
एक न्यूज चैनल के स्टिंग आपरेशन और अखबारों में छपे लोगों के विभिन्न बयानों से पता चलता है कि कई स्थानों पर गौ-रक्षकों ने पैसे लेकर ‘दोषियों’ को बरी किया है और अगर आप पैसे नहीं दे सकते तो सजा के हकदार हैं। कई जगह ये तथाकथित गौरक्षक खुद ही गाय बेचते पकड़े गये हैं। इसके साथ ही मुसलमानों पर झूठे मुकद्दमों का दौर भी शुरू हुआ है। गोवंश हत्या और अस्थायी प्रवास अथवा निर्यात नियमन कानून, 1995 के तहत सिर्फ राजस्थान में 73 मुकद्दमे दर्ज हुए, जो बाद में झूठे साबित हुए।
हम केवल पिछले दो वर्षों की घटनाओं पर एक सरसरी नजर डालते हैं, जो ये दर्शाती हैं कि यह कुछ अलग- थलग घटनाएं नहीं, बल्कि मामलों की एक पूरी लड़ी है। प्रस्तुत है एक संक्षिप्त विवरणः –
· 30 मई 2015 को अब्दुल ग़फूर कुरैशी नाम के व्यक्ति को बिरलोका (राजस्थान) में पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया। उसके बारे में सोशल मीडिया पर लगातार यह खबर फैलायी गयी कि एक त्यौहार के लिए उसने 200 गाय मारी हैं। हजारों की गिनती में भीड़ ने उसको मौत के घाट उतार दिया।
· 29 अगस्त 2015 को दिल्ली के मयूर विहार इलाके के चिल्ला गांव में भड़की हुई भीड़ का चार ड्राइवरों से झगड़ा हुआ, जो भैसों को एक बूचड़खाने में छोड़ने जा रहे थे।
· 28 सितम्बर 2015 को दादरी के मुहम्मद अखलाक को ‘भीड़’ ने गाय मारने के शक में वहशी तरीके से पीट- पीट कर मार दिया। उनके गांव के मन्दिर से लाउडस्पीकर पर ऐलान करके सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा की गयी, जिसने उनके घर पर हमला करके उनके परिवार के सामने ही अखलाक की हत्या कर दी और उनके बेटे को अधमरा कर दिया।
· 6 अक्टूबर 2015 को कर्नाटक में भैंसों- गायों के एक व्यापारी पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। व्यापारी ने भाग कर अपनी जाच बचायी। उसके बारे में किसी ने यह अफवाह फैलायी कि वह एक गौ-तस्कर है।
· 9 अक्टूबर 2016 को यूपी के मैनपुरी जि़ले में भड़की हुई भीड़ ने गाय मारने की एक अफवाह के चलते उत्पात मचाया।
· 9 अक्टूबर 2015 को श्रीनगर के एक ट्रक पर ऊधमपुर में दक्षिणपन्थी कार्यकर्ताओं ने पैट्रोल बम से हमला किया, जिसमें दो कश्मीरी नागरिक और एक पुलिस वाला सवार था। एक नागरिक की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गयी।
· 16 अक्टूबर 2015 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जि़ले में भीड़ ने एक व्यक्ति को गौ-तस्करी के ‘दोष’ में मौत के घाट उतार दिया।
· 3 दिसम्बर 2015 को हरियाणा के पलवल जि़ले में हिंसक घटनाएं हुईं, जब भीड़ ने मांस लेकर जा रहा एक ट्रक रोक लिया। · 3 जनवरी 2016 को मध्य प्रदेश के खिरकिया रेलवे स्टेशन पर गौ-रक्षकों ने एक जोड़े पर यह कहकर हमला किया कि वह गौ-मांस लेकर जा रहा है। उनके पास कुछ भी नहीं मिला।
· 18 मार्च 2016 को झारखण्ड के लातेहार में मजलूम अंसारी और उसके 15 वर्षीय बेटे को पीटा गया और बाद में पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दी गयी जो कि एक पशु मेले में गाय लेकर जा रहे थे। गौ-रक्षक, जिन्होंने इस काम को अंजाम दिया, बजरंग दल के सदस्य हैं।
· 5 अप्रैल 2016 को कुरुक्षेत्र(हरियाणा) में मुस्तैन अंसारी, जोकि भैंस लेकर जा रहा था, को गौ-रक्षकों ने मौत के घाट उतार दिया गया। इस मुकद्दमे में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 9 मई को सीबीआई जांच के निर्देश दिये हैं।
· 2 जून 2016 को राजस्थान के प्रतापगढ़ में गौ-रक्षकों ने एक मुस्लिम व्यापारी को बुरी तरह पीटा और उसको नंगा करके तस्वीरें खींचीं।
· 10 जून 2016 को गुड़गांव में दो व्यक्तियों के साथ बीफ- ट्रांसपोर्टर होने के शक में बुरी तरह मारपीट की गयी और गाय का गोबर खाने के लिए मज़बूर किया गया।
· 10 जुलाई 2016 को कर्नाटक के कोपा में बजरंग दल द्वारा एक दलित परिवार पर गौ-मांस होने के शक में हमला किया गया।
· 11 जुलाई 2016 को गुजरात के ऊना में गौ-रक्षकों ने दलित परिवार के सात सदस्यों को मरी हुई गाय की खाल उतारने के ‘दोष’ में बुरी तरह मार- पीटकर नंगा घुमाया गया।
· 26 जुलाई 2016 को मध्यप्रदेश के मन्दसौर रेलवे स्टेशन पर दो मुस्लिम औरतों के पास गौ-मांस होने के शक में उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गयी।
· 30 जुलाई 2016 मुजफ्फरनगर में एक मुसलमान परिवार पर गाय मारने के शक में भड़की हुई भीड़ ने हमला किया।
· 5 अगस्त 2016 को लखनऊ में दलित नौजवानों को मरी हुई गाय की खाल उतारने से मना करने पर बुरी तरह मारा-पीटा गया।
· 18 अगस्त 2016 को प्रवीण नाम के व्यक्ति को कर्नाटक में गौ-तस्करी करने के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। बाद में पता चला कि वह भाजपा कार्यकर्ता था।
· अगस्त 2016 में आन्ध्र प्रदेश में बिजली का करंट लगने से मरी एक गाय की खाल उतारने के लिए बुलाये गये दो दलित भाइयों पर करीब 100 गौ-गुण्डों ने यह कहकर हमला कर दिया कि उन्होंने गाय को चुराकर मारा है।
· 24 अगस्त 2016 को हरियाणा के मेवात में एक मुसलमान परिवार पर गौ-रक्षकों ने हमला किया। दो नौजवानों को मौत के घाट उतार दिया गया। दो बुरी तरह जख्मी हुए। उनकी बहन के साथ गैंग रेप किया गया।
· 18 सितम्बर 2016 को मुहम्मद अयूब नाम का व्यक्ति जो एक बैल और एक बछड़े को लेकर जा रहा था, रास्ते में हादसा होने के कारण बछड़ा मर जाता है। गौ-रक्षक अयूब के साथ बुरी तरह मार-पीट करते हैं, जो हादसे से तो बच जाता है, लेकिन इन ‘देशभक्तों’ की मार न झेलने के कारण अस्पताल में दम तोड़ देता है।
· 1 अप्रैल 2017 को राजस्थान के अलवर जिले में मवेशी खरीदकर लौट रहे मुस्लिम डेरी व्यापारियों पर हमला किया गया। मवेशियों की खरीद के कानूनी काग़जात दिखाने के बाद भी उन्हें बुरी तरह मारा गया, जिससे बुजुर्ग पहलू ख़ान की 3 अप्रैल को मौत हो गयी। संघ परिवार की साध्वी कमल ने हत्यारे गौ-गुण्डों की तुलना भगतसिंह से की।
· 21 अप्रैल 2017 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में गौ-गुण्डों ने बंजारे परिवार पर हमला करके 9 साल की बच्ची सहित कुई महिलाओं को लोहे की छड़ों से बुरी तरह पीटा। इसी दिन दिल्ली में भी गौ-गुण्डों ने भैंस ले जा रहे कुछ व्यापारियों पर हमला किया। पुलिस ने उल्टा उन व्यापारियों को ही पशु क्रूरता कानून में गिरफ्तार कर लिया।
· 20 जून 2017 को हरियाणा के बल्लभगढ़ में ट्रेन में जुनैद नाम के किशोर को पीट-पीट कर मार दिया गया। सीट को लेकर हुए विवाद के बाद उस पर झोले में बीफ रखने का आरोप लगाकर हमला किया गया।
· 13 जुलाई 2017 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के पास भीड़ ने ट्रेन में यात्रा कर रहे 10 लोगों के मुस्लिम परिवार पर हमला किया और बुजुर्गों, महिलाओं और विकलांग लड़के तक को लोहे की छड़ों से बुरी तरह मारा।
ये तो चन्द एक घटनाएं हैं। सरकार और संघ परिवार की शह पाये हुए ये गुण्डा गिरोह और उन्मादी भीड़ लगातार देशभर में आतंक मचाये हुए हैं।
–राजिन्दर सिंह का यह लेख मजदूर बिगुल से साभार लिया गया है।
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