शिमला। शिमला का प्राचीन कालीबाड़ी मंदिर शीघ्र ही सरकार के अधीन हो जाएगा। प्रदेश सरकार ने इस मंदिर के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है और जिला प्रशासन ने भी इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही मंदिर का प्रबंधन प्रशासन के हाथ आ जाएगा।
प्रदेश सरकार के इस फैसले की जानकारी भाषा एवं संस्कृति विभाग ने जिला प्रशासन को दी, जिस पर प्रशासन ने संबंधित औपचारिकताएं पूरी करना शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन काफी समय से इस मंदिर को सरकार के अधीन लाने का प्रयास कर रहा था।
कालीबाड़ी मंदिर का इतिहासः कालीबाड़ी मंदिर का इतिहास अंग्रेजों के समय का है। मंदिर में उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार पहले इस स्थान में एक गुफा हुआ करती थी। बंगाल में रहने वाले काली माता के भक्तों ने वर्ष 1823 में इस स्थान पर मंदिर का निर्माण शुरू किया और बाद में उसमें मां काली की मूर्ति स्थापित की। मूर्ति जयपुर से लाए गए पत्थरों से बनाई गई थी।
शिमला का यह कालीबाड़ी मंदिर देशभर में विख्यात है। देशभर, विशेषकर पश्चिम बंगाल से प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में काली के भक्त दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं। नवरात्रों, दुर्गापूजा और दीपावली के दौरान मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है।
शिमला के उपमंडल अधिकारी नीरज चांदला ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कालीबाड़ी मंदिर का अधिग्रहण करने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है और प्रशासन ने भी इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।