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शिमला। उमंग फाउंडेशन ने स्थानीय दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के ब्लड बैंक द्वारा 21 यूनिट रक्त कूड़ेदान में फेक दिए जाने को एक अमानवीय अपराध बताते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यही नहीं, वहां छह यूनिट रक्त कल फ़ेंक दिया जाएगा।
आज एक प्रेस कांफ्रेंस में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी संस्था व कई अन्य संथाएं वर्षों से रक्तदान को बढ़ावा देने के काम में जुटी हैं ताकि लोगों को जीवन दान मिल सके। लेकिन डीडीयू अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्त फेंके जाने से रक्तदाताओं की भावनाएं बुरी तरह आहत हुई हैं। उन्होंने डीडीयू और कमला नेहरू अस्पताल के ब्लड बैंकों को बंद करके वहां ब्लड स्टोरेज सेंटर खोलने और स्टाफ को इंदिरागांधी मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक को मज़बूत बनाने में लगाने की मांग की।
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि गत 25 मार्च से 3 मई के बीच डीडीयू ब्लड बैंक ने 21 यूनिट रक्त इसलिए फ़ेंक दिया, क्योंकि वह 35 दिन की मियाद पूरी कर चुका था। फेंका गया रक्त संक्रमित नहीं था और उसे समय रहते आईजीएमसी या किसी अन्य ब्लड बैंक को दिया जा सकता था। उन्होंने कहा कि रक्त फेंकना एक घृणित अपराध है, क्योंकि रक्तदाता निस्वार्थ भाव से दूसरों का जीवन बचाने के लिए रक्तदान करते हैं। अजय श्रीवास्तव खुद 87 बार खून दान कर चुके हैं।
उनका कहना था कि डीडीयू अस्पताल ब्लड बैंक से आईजीएमसी ब्लड बैंक मुश्किल से आधे घंटे की दूरी पर है, जहां रक्त की अक्सर कमी रहती है और रोज़ाना औसत खपत 40 से 60 यूनिट की है। वहां रक्त आसानी से भेजा जा सकता था। लेकिन डीडीयू ब्लड बैंक इस ओर कोई प्रयास नहीं करता है और 35 दिन के बाद बड़ी आसानी से खून कूड़ेदान में फ़ेंक देता है। वहां 6 यूनिट रक्त कल फ़ेंक दिया जाएगा।
उन्होंने डीडीयू और कमला नेहरू अस्पताल के ब्लड बैंकों को बंद कर के वहां ब्लड स्टोरेज सेंटर खोलने का सुझाव दिया। इन दोनों ब्लड बैंकों के स्टाफ को आईजीएमसी में शिफ्ट करके उसे और मज़बूत बनाया जाना चाहिए।
अजय श्रीवास्तव ने प्रदेश में ब्लड कंपोनेंट थेरेपी को बढ़ावा देने की मांग की ताकि एक यूनिट रक्त को कई मरीजों के काम में लाया जा सके। अभी ये सुविधा आईजीएमसी, टांडा मेडिकल कॉलेज और मंडी के अस्पताल में ही उपलब्ध हैं जहां इसका इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है।