नई दिल्ली। भाजपा की चार महिला नेताओं ने मोदी सरकारी की साख को दांव पर लगा कर रख दिया है। भ्रष्टाचार
ललित मोदी की मदद करने के मामले में जहां विपक्ष केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से इस्तीफे मांग रहा है, वहीं डिग्री विवाद में बुधवार को स्मृति ईरानी के खिलाफ याचिका स्वीकार कर कोर्ट ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 28 अगस्त को शिकायतकर्ता के बयान व सबूत दर्ज करने के बाद कोर्ट फैसला करेगी कि स्मृति पर केस चलेगा या नहीं। इधर, महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे पर 206 करोड़ रुपये घोटाले के आरोपों से नया विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष इस संबंध में बार-बार प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रहा है। मुश्किल में फंसी सरकार सफाई दे-देकर परेशान है।
सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2014 में आईपीएल के पूर्व कमिश्नर एवं मनी लांड्रिंग व फेमा मामले के अभियुक्त ललित मोदी को ब्रिटेन सरकार से पुर्तगाल जाने के लिए वीसा दिलाने में मदद की। उनकी बेटी बांसुरी व पति स्वराज कौशल मोदी के वकील रहे हैं।
वसुंधरा राजे, मुख्यमंत्री राजस्थान पर आरोप है कि 18 अगस्त, 2011 को राजस्थान में विपक्ष की नेता रहते उन्होंने ललित मोदी को लंदन में रहने की अनुमति देने के लिए ब्रिटेन के आव्रजन अधिकारियों को पत्र लिख गवाही दी। इसके बदले बेटे दुष्यंत की कंपनी में ललित की कंपनी ने 10 रुपये के शेयर 96 हजार रुपये के भाव से खरीदे।
स्मृति ईरानी, मानव संसाधन मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव आयोग को वर्ष 2004, वर्ष 2011 व वर्ष 2014 में अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर अलग-अलग ब्योरा दिया। उन्होंने कभी बीए तक तो कभी बीकॉम पार्ट वन तक पढ़ाई की बात कही। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि मामला सुनवाई योग्य है। अगली पेशी 28 अगस्त को है, जिसमें अदालत फैसला लेगी कि स्मृति ईरानी पर केस दर्ज किया जाए या नहीं।
पंकजा मुंडे, महाराष्ट्र की मंत्री के बारे में खुलासा हुआ है कि बच्चों के लिए नाश्ता व किताबें खरीदने के लिए उन्होंने बगैर टेंडर बुलाए अपने चहेतों को एक ही दिन में 206 करोड़ रुपये का ऑर्डर दे दिया। नियमानुसार तीन लाख रुपये से ज्यादा की खरीद में ई-टेंडर बुलाना जरूरी होता है। महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर भारी हंगामा मचा हुआ है। आरोप सही हुए तो उन्हें गंवानी पड़ सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार का एक साल पूरा होने पर गत 26 मई को मथुरा रैली में एक साल में भ्रष्टाचार मुक्त शासन की दुहाई दी थी। लेकिन उसके तुरंत बाद ही एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आते जा रहे हैं, जिसमें सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। यही नहीं ऐसी स्थिति में पार्टी के भीतर से भी विद्रोह के स्वर मुखर होने लगे हैं। अनेक वरिष्ठ नेताओं ने इसे लेकर सरकार को नसीहत दी है।