किन्नौर। संसदीय चुनाव की इस बेला में जनजातीय जिला किन्नौर और लाहौल-स्पीति की
जनजातीय महिलाओं को पैतृक संपत्ति में हक क्यों नहीं?
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किन्नौर। संसदीय चुनाव की इस बेला में जनजातीय जिला किन्नौर और लाहौल-स्पीति की
महिलाएं एकबार फिर से ‘पैतृक संपत्ति में बेटियों को अधिकार’ की मांग लेकर खड़ी हैं। यह जान कर किसी को भी हैरानी हो सकती है कि प्रदेश के उक्त जनजातीय जिलों में महिलाओं को अभी तक भी पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, क्योंकि यहां भू राजस्व अधिनियम- 1954 को लागू ही नहीं किया गया है। किन्नौर की महिलाएं महिला कल्याण परिषद किन्नौर के बैनर तले अपनी इस मांग को लेकर पिछले काफी समय से संघर्षरत हैं तथा संसदीय चुनाव में एक बार फिर से इस प्रश्न को लेकर राजनीतिक दलों के सामने खड़ी हैं। यह दोनों जनजातीय जिले मंडी संसदीय क्षेत्र के अधीन आते हैं। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के स्पीति में एक अन्य विचित्र राजस्व कानून भी लागू है। वहां पैतृक संपत्ति पर केवल बड़े बेटे का ही अधिकार रहता है। बेटियों को छोटे बेटों को पुश्तैनी संपत्ति नहीं मिलती। सबसे छोटे बेटे को लामा बना दिया जाता है। महिला कल्याण परिषद किन्नौर की अध्यक्ष रत्न मंजरी कहती है कि भू राजस्व अधिनियम-1954 को नजरंदाज करते हुए जनजातीय किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में जबरन अंग्रेजों के समय से भी पुराने कानून को थोपा गया है। परिवार की संपत्ति बाहर के लोगों को न जाए, इसलिए यहां पैतृक संपत्ति का बंटवारा सिर्फ बेटों में ही किया जाता है। बेटा न होने पर संपत्ति अपने आप उसके भाई के बेटों में ट्रांसफर हो जाती है। उन्होंने कहा कि जनजातीय महिलाओं के तमाम आंदोलनों के बावजूद अभी तक भी यहां के जन प्रतिनिधियों ने इस कानून में संशोधन की मांग तक नहीं उठाई, जो एक पुरुषवादी सोच का नतीजा है। जनप्रतिनिधियों को लगता है कि महिलाओं की इस मांग को उठाकर उनका वोट बैंक प्रभावित होगा। रत्न मंजरी ने कहा कि वे स्वयं इस बारे में प्रदेश सरकार और राज्यपाल से भी मिल चुकी हैं और महिलाओं को पैतृक संपत्ति का अधिकार दिलाने की मांग कर चुकी हैं। लेकिन अभी तक आश्वासनों के सिवाए कुछ नहीं मिला। उनका कहना है कि भू राजस्व अधिनियम-1954 लागू नहीं होने के कारण यहां महिलाएं खुद को बहुत असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बिन ब्याही महिला हो चाहे किसी कारण मायके में रहने के लिए मजबूर विवाहिता, उन्हें अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अकसर घरों में उनकी हैसियत बंधुआ नौकरों की सी हो जाती है। मंडी सीट से भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप शर्मा ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें भी इस स्थिति के बारे में पता चला। किन्नौर में बड़ी संख्या में लोग चाह रहे हैं कि बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बेटों के समान भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केंद्र के स्तर का मामला है। चुनाव जीतने के बाद वे इसे संसद में उठाएंगे।Advertisement
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