धर्मशाला। इसे प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि सरकारों की ओर से विकास के नाम पर इसके हिस्से मात्र
विगत में धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का रिजनल सेंटर खोलने का भी निर्णय लिया गया था। इसके लिए जमीन तलाशने का काम शुरू हुआ। भूमि चयनित की जाती रहीं और कुछ समय बाद रिजैक्ट होती रहीं। इसी राजनीतिक खेल में दो दशक बीत गए, लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ। कांगड़ा जिले में दशकों पूर्व कई जगह रज्जू मार्ग बनाने की भी योजना बनी थी। आज भी राजनेताओं के बयानों में रज्जू मार्ग जिंदा हैं, लेकिन इस दिशा में वास्तविकता के धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। आशंका जताई जा रही है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के मामले में भी कहीं ऐसा ही न हो।
गौरतलब है कि पूर्व भाजपा सरकार ने लंबी खींचतान के बाद अंतिम दौरा में केंद्रीय विश्वविद्यालय को देहरा में स्थापित करने की घोषणा कर दी थी और इसके लिए वहां भूमि का चयन भी कर लिया गया था। उस समय भी कांग्रेस इसका विरोध करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय को धर्मशाला में स्थापित करने के लिए ही पूरा जोर लगा रही थी। प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार बन गई है तो उसने भी इस मुद्दे को उलझाए रखने का खेल शुरू कर दिया है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम पर फिर राजनीति शुरू
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