बद्दी। हिमाचल प्रदेश में कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों और खिलाड़ियों की ओर सरकार ने पूरी तरह से आंखें मूंद रखी हैं,
जबकि अन्य राज्य इस मामले में काफी गंभीर हैं। अपने खिलाड़ियों का मनोबल ऊंचा करने के लिए सरकार को ठोस पग उठाने चाहिएं। यह टिप्पणी ‘बेंगलुरू बुल्ज’ के स्टार कबड्डी खिलाड़ी अजय ठाकुर ने इस संवाददाता के साथ एक विशेष बातचीत में की। अजय यहां नालागढ़ तहसील के तहत दभोटा गांव के वासी हैं और छुट्टी पर घर आए हैं। इन दिनों उन्हें स्टार गोल्ड पर चल रही प्रो-कबड्डी लीग में अपनी टीम की ओर से प्रमुख रेडर के रूप में देखा जा सकता है।
अजय ने प्रदेश में खिलाड़ियों को पेश आ रही समस्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में पारंपरिक खेलों के खिलाड़ियों को विशेष दर्जा दिया जाता है, लेकिन हमारे यहां तो हालत यह है कि प्रो कबड्डी लीग में तीन बार बेस्ट रेडर घोषित होने पर भी प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें कोई फोन तक नहीं आया। प्रदेश में खिलाड़ियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जो भी खिलाड़ी अपनी योग्यता के बल पर आगे बढ़ता है, उसे प्रोत्साहन देने की बजाए नजरअंदाज ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जो भी इनाम राशि नेशनल व इंटरनेशनल खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए रखी है, वह अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरती। प्रदेश में पारंपरिक खेलों के प्रति युवाओं में काफी जोश एवं योग्यता है, पर उन्हें सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही।
अजय ने आरोप लगाया कि यहां स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी सेवा में भर्ती में भी केवल सिफारिश चलती है। असली हकदार तो केवल देखते रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास कई गोल्ड, सिल्वर तथा अन्य मैडल हैं, लेकिन उन्हें स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी नहीं मिल पाई, क्योंकि इसके लिए उनके पास सिफारिश नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने खिलाड़ियों को परशुराम मैडल के लिए जो मापदंड निर्धारित किया है, उसे वे कभी का पूरा कर चुके हैं, लेकिन उन्हें पदक नहीं दिया गया।
अजय ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे कई अन्य राज्यों में पारंपरिक खेलों में भाग ले चुके हैं। हर जगह खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए प्रेक्टिस ग्राऊंड की उचित व्यवस्था है, लेकिन हिमाचल में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई खिलाड़ी खेलता है तो उसे अपने से ज्यादा अपने प्रदेश के नाम की चिंता होती है और उसके लिए वह भरपूर प्रयास करता है। यदि किसी कारण से उसके साथ अपने ही राज्य में अनदेखी हो जाए तो इससे उसका मन टूट जाता है। हाल ही में वे प्रो. कबड्डी लीग में वे तीन बार बेस्ट रेडर घोषित हुए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से कोई फोन तक नहीं आया।
उन्होंने बताया कि बहुत से राज्यों में स्पोर्ट्स कोटे के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं और उन्हे सख्ती से लागू भी किया गया है। इसी कारण वहां अच्छे खिलाड़ी उभर कर सामने आते हैं। यदि हिमाचल प्रदेश में भी खिलाड़ियों की ओर कुछ ध्यान दिया जाए तो यहां के युवाओं में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ऊंचा उठने के लिए भरपूर योग्यता है। इसके लिए सरकार की इच्छा शक्ति जरूरी है।