नैनीताल। विकासखंड ओखलकांडा की ग्रामसभा नाई में एक अस्पताल को ग्रामीण पिछले 11 वर्षों से इस उम्मीद के साथ सुरक्षित संभाले हुए हैं कि कभी तो यहां चिकित्सक और अन्य स्टाफ की तैनाती होगी और उन्हें स्वास्थ्य सुविधा के लिए 60 किलोमीटर दूर नहीं भटकना पड़ेगा। लेकिन लगता है सरकार शायद यह भूल ही चुकी है कि इस क्षेत्र में उसने कोई अस्पताल भी खोल रखा है।
ओखलकांडा ब्लॉक की ग्रामसभा नाई में 1953 में आयुर्वेदिक अस्पताल स्थापित किया गया था। इस अस्पताल पर चकदलाड, नाई, कोटली, परमधार, भूमका, उडियारी और सलड़ी क्षेत्र की लगभग 20 हजार की आबादी निर्भर है। ग्रामीण मदन सिंह नयाल, गोपाल नयाल, देवेंद्र नयाल, भगवती नयाल बताते हैं कि वर्ष 2003 में अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। तब से अस्पताल में किसी भी डाक्टर की तैनाती नहीं की गई। डाक्टर आने की आस में ग्रामीणों ने काफी समय तक अस्पताल का दरवाजा खुला रखा। यह सिलसिला लगभग तीन वर्ष तक चला। उसके बाद ग्रामीणों ने अस्पताल पर ताला लगा दिया, अलबत्ता सफाई आदि करते रहे। तब भी विभाग जब नहीं चेता तो ग्रामीणों ने अस्पताल का सारा सामान एक कमरे में बंद कर दिया ताकि पड़ा- पड़ा खराब न हो, लेकिन सरकार और विभाग को इसकी कोई चिंता नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि अस्पताल के सामान पर 11 वर्षों से विभाग ने अपना दावा भी नहीं किया। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में अब ग्रामीणों को इलाज के लिए 60 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। इनमें अधिकांश लोग झोला छाप नीम हकीमों के चक्कर में पड़ कर अपने स्वास्थ के साथ खतरा मोल ले रहे हैं।
आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा अधिकारी डा. केएस नपच्याल से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि 10 वर्ष पूर्व यह अस्पताल जिला पंचायत के अधीन था। तब आयुर्वेदिक चिकित्सकों की नियुक्ति जिला पंचायत ही कराती थी। इसलिए अस्पताल के संबंध में सही जवाब जिला पंचायत ही दे सकती है।