अमेरिकी उद्योगपति 92 वर्षीय जॉर्ज सोरोस ने बीते गुरुवार को जर्मनी के म्यूनिख़ रक्षा सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर तीखी टिप्पणियां की थीं, जिस पर केंद्र सरकार और भाजपा ने सोरोस के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
जॉर्ज सोरोस ने कहा था, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनकी इतनी तेज़ी से आगे बढ़ने के पीछे भारतीय मुसलमानों के साथ हिंसा भड़काना एक बड़ा कारक रहा है।”
सोरोस ने कहा, “मोदी और अरबपति अडानी में क़रीबी रिश्ते हैं। दोनों का भविष्य एक दूसरे से बंधा हुआ है। अडानी पर स्टॉक मैनीपुलेशन के आरोप हैं और मोदी इस मामले पर खामोश हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने ही होंगे।” उन्होंने वहां और भी बहुत कुछ विवादित कहा।
सोरोस पहले भी मोदी की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने जनवरी 2020 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की बैठक के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा था कि ‘भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है।’
कौन है जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं। उनका जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था। हिटलर के नाज़ी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तो वे किसी तरह सुरक्षित बच गए थे।
सोरस बाद में कम्युनिस्ट देश से निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे। शेयर मार्केट में पैसा लगाकर उन्होंने इससे अरबों डॉलर कमाया। इस पैसे से उन्होंने हज़ारों स्कूल, अस्पताल बनवाए और लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले संगठनों की मदद की।
वर्ष 1979 में उन्होंने ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन की स्थापना की जो अब क़रीब 120 देशों में काम करती है। उनके इस काम के कारण वो हमेशा दक्षिणपंथियों के निशाने पर भी रहते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी सोरोस पर लगातार तीखे हमले करते रहे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने जॉर्ज ने क्या प्रतिक्रिया की?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिग्गज अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस की तीखी आलोचना की है। शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रायसीना डायलॉग के उद्घाटन सत्र के दौरान जयशंकर ने जॉर्ज सोरोस को “बूढ़ा, रईस, हठधर्मी और ख़तरनाक” बताया। उन्होंने कहा कि सोरोस की टिप्पणी ठेठ ‘यूरो अटलांटिक नज़रिये’ वाली है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जयशंकर ने कहा, “सोरोस एक बूढ़े, रईस, हठधर्मी व्यक्ति हैं जो न्यूयॉर्क में बैठकर सोचते हैं कि उनके विचारों से पूरी दुनिया की गति तय होनी चाहिए… अगर मैं ठीक से कहूं तो वो बूढ़े, रईस, हठधर्मी और ख़तरनाक हैं।”
उन्होंने कहा, “अगर आप इस तरह की अफ़वाहबाज़ी करेंगे, जैसे दसियों लाख लोग अपनी नागरिकता से हाथ धो बैठेंगे तो यह वास्तव में हमारे सामाजिक ताने-बाने को बहुत क्षति पहुंचाएगा। इससे अलग-अलग देशों में और जटिलताएं पैदा होंगी।”
जयशंकर ने कहा, “उन जैसे लोग अपनी पसंद के लोगों के जीतने पर चुनाव को अच्छा बताते हैं और दूसरा नतीजा आने पर कहेंगे कि यह खामियों वाला लोकतंत्र है। और मज़े की बात ये है कि ये सब खुले समाज का समर्थन करने का दिखावा करके किया जाता है।”