देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा की गई दो घोषणाओं ने राजनीतिक पारा एकाएक गरमा दिया है। एक घोषणा है मुस्लिम समुदाय के सरकारी कर्मचारियों को जुमे (शुक्रवार) की नमाज के लिए दोपहर 12 से डेढ़ बजे तक छुट्टी देने की और दूसरी ऊपरी क्षेत्रों में भांग की खेती के लिए लाइसेंस जारी करने की।
मुस्लिम समुदाय को नमाज के लिए छुट्टी की घोषणा को भाजपा ने हाथों हाथ लपक लिया है और इससे देहरादून से दिल्ली तक राजनीति गरमा गई। भाजपा के वरिष्ठ नेता नलिन कोहली ने तुरंत बयान दागा, “सीएम रावत को अब हिंदू कर्मचारियों को शिव और हनुमान की पूजा के लिए भी छूट देनी चाहिए।” भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने चुनाव में मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए यह निर्णय लिया है, जबकि हिंदू कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गई।
नलिन कोहली ने कहा कि उत्तराखंड के सीएम की यह घोषणा राजनीति से प्रेरित एवं विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय को तुष्ट करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार को अब वहां हिंदू कर्मचारियों के लिए भी कुछ करना चाहिए। उन्हें इसी प्रकार सोमवार को शिव पूजा के लिए और मंगलवार को हनुमान पूजा के लिए छुट्टी देनी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार एवं विख्यात विचारक निशीथ जोशी ने अपनी फेसबुक वॉल पर टिप्पणी की, “अगर 90 मिनट जुमे की नमाज के लिए कार्य से अवकाश तो पांच समय की नमाज के लिए प्रतिदिन क्यों नहीं..? ईसाइयों को प्रेयर के लिए क्यों नहीं..? हिंदुओं को कई बार ध्यान साधना के लिए क्यों नहीं..? मुख्यमंत्री हर धर्म संप्रदाय के कर्मचारियों के लिए छूट दें अगर वास्तव में कर्मचारियों के हितैषी हैं। …सिर्फ संप्रदाय विशेष के लिए छूट देना कहीं साम्प्रदायिकता बढ़ाने की चाल तो नहीं? ..यह भाईचारे में फूट डालने के लिए ईंधन है कांग्रेस की राज्य सरकार का। आजादी के बाद से बांट बांट कर राज किया….फिर वही सियासत। यह है विनाश काले विपरीत बुद्धि का नमूना…।”
फेसबुक में Jitendra Anthwal ने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि अन्य कर्मचारियों को भी- सोमवार को शिवालय में जलाभिषेक के लिए, मंगलवार को हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए, बुधवार को ग्रहशांति हेतु बुध का स्मरण करने के लिए, बृहस्पतिवार को कथा पढ़ने और केले के पेड़ पर जल चढ़ाने के लिए और शनिवार को शनिदेव की प्रतिमा पर तेल चढ़ाने के लिए छुट्टी दी जाए।
इसी प्रकार राज्य में भाग की खेती के लिए लाइसेंस जारी किए जाने की घोषणा का भी जम कर विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे राज्य में नशे का अवैध धंधा बढ़ेगा। सोशल मीडिया में इसके लिए भी वाक् युद्ध जारी है।