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नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सहारा समूह को आम निवेशकों का पैसा समय सीमा के भीतर नहीं लौटाने के लिए लताड़ लगाई है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया था। पैसा लौटाने की समय सीमा बीतने के बाद इस रकम पर तीन हजार करोड़ रुपये का ब्याज भी बढ़ चुका है।
मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहारा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) से पूछा है कि क्या वे एक सप्ताह के अंदर निवशकों का पैसा लौटाने में सक्षम हैं?
जस्टिस कबीर ने कड़े शब्दों में सहारा समूह को लताड़ लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने में हो रही देरी को जस्टिस कबीर ने गंभीरता से लिया है और उन्होंने कहा कि इस मसले में सहारा समूह की याचिका सुनवाई लायक भी नहीं है। इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा, ”समूह का रवैया लापरवाही भरा है और हम उनकी जरूरत के हिसाब से अपने आदेश की व्याख्या नहीं कर सकते।”
आम निवेशकों की चिंता
सहारा समूह की ओर से सुनवाई में शामिल वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने निवेशकों के पूरे पैसे लौटाने में असमर्थता जताते हुए दलील देने की कोशिश की, जिससे बेंच ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। जस्टिस कबीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहारा समूह को यह बताने के लिए एक दिन की मोहलत दी है कि वे निवेशकों का पैसा लौटाने में सक्षम हैं या नहीं?
दरअसल सहारा समूह ने हाल ही में सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में दो पृष्ठ के विज्ञापन प्रकाशित कराए हैं जिसमें कंपनी की माली हालत बेहतर दिखाई गई है। लेकिन समूह आम निवेशकों के पैसे लौटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
बाजार की कंपनियों पर नजर रखने वाली संस्था सेबी ने भी सहारा की याचिका का विरोध किया है। सेबी ने कहा कि वह सहारा की याचिका के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर चुकी है और सहारा समूह पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मामले की सुनवाई के दौरान बेंच को आम लोगों की चिंता ज्यादा दिखी। बेंच ने कहा कि अगर इन लोगों को जेल भी भेजना पड़ा तो हम उन्हें जेल भेजेंगे, लेकिन हमें आम आदमियों के निवेश की चिंता कहीं ज्यादा है।