- बद्दी। हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक विकास का सपना टूटता नजर आ रहा है। रुपये के लगातार लुढ़कने, बिजली की दरों में वृद्धि और व्यवस्थागत खामियों के चलते Advertisement
प्रदेश के बड़े औद्योगिक क्षेत्रों- बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन), परवाणु, सोलन और पांवटा साहिब आदि से कुछ ही अरसे में दो सौ के करीब उद्योग दूसरे क्षेत्रों की ओर पलायान कर चुके हैं। अकेले सोलन और परवाणु में ही गत मार्च माह से अभी तक सौ से अधिक फार्मा उद्योग बंद हो चुके हैं। उद्योग विभाग में नए उद्योगों के लिए आवेदन आने बंद हो चुके हैं। सोलन जिला में औद्योगिक प्लाटों के लिए 1, 162, 82 बीघा जमीन खाली पड़ी है, लेकिन उनके लिए कोई आवेदन नहीं आ रहे।
हिमाचल प्रदेश में कुल 39,512 औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें 39,016 स्माल स्केल और 494 मीडियम और लार्ज स्केल की हैं। करीब तीन लाख लोगों को इनमें रोजगार मिला हुआ है। फार्मा हब सोलन व बीबीएन में सर्वाधिक 5424 इंडस्ट्रीज हैं, जिनमें से 1600 के करीब फार्मा उद्योग हैं। प्रदेश भर में फार्मा उद्योगों की संख्या करीब 2500 है। इनमें मार्च 2013 से लेकर अब तक सौ से अधिक उद्योग करीब 3000 कर्मचारियों को बेरोजगार करते हुए बंद हो चुके हैं। बीबीएन औद्योगिक संघ (बीबीएनआईए) के अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरिया कहते हैं कि रुपये में गिरावट की भारी मार उद्योगों पर पड़ी है। करंट अकाउंट डिफेशिट काफी ज्यादा है। महंगी कीमत पर कच्चा माल विदेशों से मंगवाया जा रहा है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ रही है। निर्यात में कमी के चलते उद्योगों की सेहत ठीक नहीं चल रही। सोलन व बीबीएन से सालाना 5, 500 करोड़ रुपये के आयात-निर्यात का कारोबार होता है।
सोलन में उद्योग विभाग के महाप्रबंधक यशपाल शर्मा का कहना है कि रुपये में लगातार गिरावट का असर उद्योगों पर पड़ा है। पिछले छह माह के दौरान सोलन जिले में करीब 100 फार्मा उद्योग बंद हो चुके हैं।
बीबीएन में लोहा उद्योग भी बड़ी तेजी से बंद हो रहे हैं। उद्योगपतियों की शिकायत है कि बिजली के दाम बढ़ने और दोहरी एजीटी लगने के कारण यहां लोहा उद्योग चलाए रखना मुश्किल हो गया है। सूचना है कि प्रदेश में आधा दर्जन लोहा उद्योग बंद हो गए हैं और इतने ही बंदी की कगार पर खड़े हैं। इन उद्योगों के बंद होने से लगभग ढाई हजार लोग बेरोजगार हो चुके हैं और हजारों लोगों के रोजगार पर तलवार लटकी हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि बीबीएन में तालाबंदी के बाद कामगारों की छुट्टी हो गई है, लेकिन उद्योग विभाग के रिकॉर्ड में ये उद्योग अभी चालू हालत में हैं। बंद होने वाले उद्योगों ने संबंधित विभाग को सूचित करना भी उचित नहीं समझा। औद्योगिक क्षेत्र बरोटीवाला के रामा स्टील, आरआर कास्टिंग, नालागढ़ की देव भूमि, गोलथाई की एसपीएस, सूरज फेबरिकेशन और कालाअंब की हाईटेक कंपनियां में इन दिनों ताले लटके हुए हैं। यहां से कामगारों का हिसाब कर दिया गया है तथा उत्पादन पूरी तरह से ठप है। बुरांवाला स्थित गिलवर्ट इस्पात भी हिचकोले मार रही है।
लघु उद्योग भारती के लोह उद्योग विंग के प्रदेश अध्यक्ष संजीव शर्मा का कहना है कि बिजली की दरों में 17 फीसदी बढ़ोतरी कर दी गई है, जिसका सीधा असर लोह उद्योग पर पड़ा है। हिमाचल में बिजली उत्तरांचल से भी सवा रुपये महंगी मिल रही है। एक लोह उद्योग में 60 लाख से एक करोड़ तक बिजली की खपत है। रेट बढ़ने से बिल के रूप में दस लाख अतिरिक्त देनदारी बढ़ गई है। सीएसटी एक से डेढ़ फीसदी बढ़ा दी गई है। संजीव कुमार के अनुसार लोह उद्योग पर सबसे ज्यादा मार दोहरे एडिशन गुड्स टैक्स (एजीटी) की पड़ी है। हिमाचल पहला राज्य है जहां लोह उद्योग को कच्चा माल व तैयार माल पर दोनों पर एजीटी देनी पड़ रही है। उद्योग में अगर सौ टन माल तैयार होता है तो संचालक को दो सौ टन माल की एजीटी देनी पड़ रही है, जोकि तर्क संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अगर लोह उद्योग के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी तो आने वाले समय में सभी उद्योग यहां से पलायन कर लेंगे।