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तीन गांवों का अधिग्रहण रद्द
अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो प्रधान सचिव के स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त करे, जो विकास कार्यों की जांच करे और ये भी देखे कि किस तरह मास्टर प्लान में बदलाव किए गए, तथा किस तरह जमीन बिल्डरों को दी गई। अदालत ने इन सभी मुद्दों पर रिपोर्ट तलब की है।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसयू खान और जस्टिस वीके शुक्ला की बेंच के इस फैसले के कई मतलब निकाले जा रहे हैं, हालांकि कुछ किसानों ने इससे नाखुशी भी जताई है। उनका कहना है कि उन्होंने मुआवजा बढ़ाने की बात नहीं की थी और वो तो अधिग्रहण ही रद्द करवाना चाहते थे।
किसानों का कहना रहा है कि उस वर्ष जब उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी तब उनसे कहा गया था कि विकसित किए जाने के बाद कुछ जमीन उन्हें लौटा दी जाएगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया है।
जिन गांवों का अधिग्रहण अदालत ने रद्द कर दिया है, वहां लोग खुशियां मना रहे हैं, लेकिन अन्य गांवों के कुछ दिसान नाशुख हैं। उन्होंने इस बारे में 25 तारीख को महापंचायत बुलाने की बात कही है, जिसमें 50 गांवों के लोग शामिल होंगे।