ब्रिटिश शासनकाल में मुंशी सीताराम डाक विभाग में मुलाजिम थे। वे चिट्ठियां बांटते, लोगों को चिट्ठियां पढ़कर सुनाते और उनके लिए चिट्ठियां लिखते भी थे। इसीलिए उनका नाम सीताराम से मुंशी सीताराम... Read more
दीपू के लच्छन बचपन से ही ठीक नहीं थे। तायी कहतीं- “कहीं कनस्तर भी बज रहा हो तो दीपू सबसे पहले तमाशा देखने वहां पहुंच जाता। तूरियों की संगत में रहकर पूरा तूरी ही बन गया है।” ताई चाहती थीं कि... Read more