नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की है और इसे खत्म करने को कहा है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रियों को टिकट में मिलने वाली छूट के प्रावधान को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि तीर्थ स्थानों पर जाने वाले लोगों को इस तरह की सब्सिडी देना अल्पसंख्यकों को लुभाने के समान है। हालांकि कोर्ट ने हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करने के लिए 10 साल की समय सीमा तय की है और कहा है कि इस समयवधि में इसे धीरे-धीरे खत्म किया जाए।
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केंद्र सरकार ने बाम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें विदेश मंत्रालय को आदेश दिया गया था कि वे सरकार द्वारा वीआईपी कोटे के तहत सब्सिडी दिए जाने वाले 11,000 यात्रियों में से 800 का प्रबंध निजी आपरेटरों को करने दे।
याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसका दायरा बढ़ा दिया था और इस पर फैसला करने का निर्णय किया था कि हज पर जाने वाले यात्रियों को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी जायज है या नहीं।
हज कमिटी ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शाकिर हुसैन का इस पर कहना है ”हज सब्सिडी एक राजनीतिक मसला है और ये सरकार का फैसला होता है. हमारे पास तो हज जाने वालों की तादाद हमेशा भरी ही रहती है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। हमारी भी कोशिश हज में और पारदर्शिता लाने की है और इस दिशा में सुधार करने की है।”
हज कमेटी के सदस्य तनवीर अहमद का कहना था, ”अभी मैंने कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है। वैसे भी सब्सिडी तो कई तरह की होती है। सरकारी मुलाजिमों से लेकर चिकित्सा के स्टाफ के कई लोग इसके अंतर्गत आते हैं। लेकिन कोर्ट के आदेशों का पालन तो होना ही चाहिए।”
सरकार के दावे
लगभग दो सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया था जिसमें बताया गया था कि उसने सरकारी सब्सिडी ‘पांच साल में एक बार’ की बजाय ‘जिंदगी में एक बार’ देने का फैसला किया है।
सरकार ने कहा था कि यह बदलाव पहली बार किया गया है ताकि उन लोगों को फायदा मिल सके जो कभी हज पर नहीं गए हैं।
सरकार ने यह भी कहा था कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी और साथ ही उन्हें भी जो तीन बार सब्सिडी का आवेदन करने के बावजूद सब्सिडी नहीं ले पाए।
हालांकि सरकार ने साल 2012 में कुल सब्सिडी की रकम की जानकारी नहीं दी थी। उसका कहना था कि सही आंकड़ा तभी मिल पाएगा जब यह लोग हज यात्रा से वापस आएंगे।
वीआईपी कोटा
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटा हमेशा नहीं रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि हज कोटा 1967 में एक सद्भावना के तौर पर शुरू हुआ था और इसे हमेशा जारी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात हज टुअर ऑपरेटर्स की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही थी।