धर्मशाला। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने प्रदेश की सरकारों को नालायक करार दिया है और कहा है कि पर्याप्त बजट के बावजूद सरकारें यदि सही ठंग से काम न करें तो उनकी कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वभाविक है। शांता कुमार ने इस में कांग्रेस ही नहीं अपनी पार्टी भाजपा की पूर्व सरकार को भी कटघरे में लिया।
मामला कांगड़ा में टांडा मेडिकल कॉलेज की सराय को लेकर है, जो पर्याप्त बजट उपलब्ध होने के बावजूद पिछले सात वर्षों से अधूरी है। अस्पताल में मरीजों के संबंधियों को ठहराने का कोई प्रबंध उसमें नहीं है।
शांता कुमार ने बयान जारी कर कहा कि- “टाण्डा में सराये का लम्बे समय से पड़ा अधूरा काम सरकारों की नालायकी का सबसे बड़ा उदाहरण है। लगभग 7 साल पहले मुझे बताया गया कि टाण्डा अस्पताल में तिमारदार के ठहरने का कोई प्रबन्ध नहीं है। मैं तब सांसद था। मैंने अपनी सांसद निधि से 25 लाख रुपये दिये। यह राशि बहुत कम थी। कांग्रेस की सांसद विप्लव ठाकुर ने भी अपनी सांसद निधि से सराये के लिए 25 लाख रुपये दिये थे। हमें बताया गया कि वहां बहुत बड़ी सराय चाहिए। 50 लाख रुपये भी कम हैं। उन्हीं दिनों मैं संसद की एक स्थाई समिति का अध्यक्ष बन गया। मैंने एक सरकारी कम्पनी को कहा और उन्होंने 2 करोड़ रुपये सराय के लिए स्वीकार किये।”
शांता कुमार ने कहा, “कई महीने बीत गये। अढ़ाई करोड़ मिलने पर भी काम शुरू नहीं हुआ। मैंने उस समय के स्वास्थ्य सचिव को कहा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मैंने उस सम्बंध में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी से बात की। उन्होंने आदेश दिये, वे स्वयं टाण्डा आये, मुझे बुलाया गया और हम दोंनो से सराय का शिलान्यास करवाया गया। उसी समय मेरे कहने पर वीरभद्र सिंह जी ने अधिकारियों को आदेश दिया कि यह सराय एक साल में हर हालत में पूरी हो जानी चाहिए।”
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा- “समय बीतता गया। सराये का काम अच्छी तरह से शुरू नहीं हुआ। सरकार बदल गई। भाजपा सरकार आ गई। मैंने स्वास्थ्य मंत्री को विशेष रूप से आग्रह किया कि सराय के निर्माण में पहले ही बहुत समय बीत गया है, अब उसे वे जल्दी पूरा करवायें। मैंने इस सम्बंध में उस समय के मुख्यमंत्री से भी बात की। समय निकलता गया। निर्माण कार्य धीरे- धीरे होता गया। पांच साल बीत गये और भाजपा सरकार भी बदल गई। अब तीसरी कांग्रेस सरकार आने के बाद भी हालत यह है कि सराय अधूरी है, उसका उपयोग नहीं हो रहा। लोग बरामदे और फर्श पर सो कर भयंकर सर्दी में रातें काट रहे हैं।”
शांता कुमार ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जो काम एक वर्ष में पूरा होना चाहिए था। तीन सरकारें बदल गईं और 7 साल के बाद अभी तक भी लोगों को सुविधा प्राप्त नहीं हुई। यह ऐसी आपराधिक गलती है, जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों को कठोर सजा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज अखबारों के माध्यम से जब पता चलता है कि मरीजों के तिमारदार बरामदे और फर्श पर लेटे हुए ठंड में परेशान हो रहे हैं तो मुझे बहुत दुख होता है। लम्बे सात साल बीत गये और इतना आवश्यक काम भी सरकारें नहीं कर सकीं।
उन्होंने नई सरकार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से विशेष आग्रह किया है कि अब अतिशीघ्र इस सराये का काम पूरा कर इसे शुरू किया जाए ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके।