नई दिल्ली। औद्योगिक विकास के नए आंकड़ों पर निराशा जाहिर करते हुए वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर मांग और निवेश की गतिविधियों में आई कमी की वजह से ऐसा हुआ है। पत्रकारों से बात करते हुए वित्तमंत्री ने कहा, ”औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़े निराश करने वाले हैं। वैश्विक स्तर पर व्यावसायिक गतिविधियों का कमजोर होने का असर घरेलू स्तर पर निजी निवेश पर भी पड़ रहा है।
Advertisement
देश में औद्योगिक उत्पादन का अनुमान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक से लगाया जाता है और नए आंकड़े बताते हैं कि मार्च में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पांच वर्षों में सबसे कम यानी 3.5 पर रहा है। पिछले वर्ष मार्च में ये 9.5 प्रतिशत था।
इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ”घरेलू स्तर पर निवेश में सुधार कमजोर रहा…हालांकि रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव की घोषणा की है, लेकिन ब्याज दरों में कमी आने में थोड़ा वक्त लगेगा।”
इन आंकड़ों पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा है कि वे इस महीने कुछ विशेषज्ञों से मिल रहे हैं ताकि मंदी के वैश्विक स्तर पर आए असर का विश्लेषण किया जा सके। वित्तीय वर्ष 2010-11 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 8.2 था, जबकि इस वित्तीय वर्ष में यह 2.8 से ऊपर नहीं जा सका है।
आईआईपी में 75 प्रतिशत भूमिका उत्पादन सेक्टर की होती है और आंकड़ों के अनुसार उप्तादन मार्च में 4.4 प्रतिशत रह गया था, जबकि पिछले वर्ष मार्च में उत्पादन की दर 11 प्रतिशत थी।