देहरादून (हरिद्वार)। हरिद्वार के जूना अखाड़े में हाल ही में रातोंरात विवादित ढंग से महामंडलेश्वर बना दी गई राधे मां की यह पदवी अब खतरे में पड़ गई है। इतना
अखाड़े से संन्यास की दीक्षा तक नहीं लेने के बावजूद राधे मां नाम से चर्चित एक महिला को रातोंरात महामंडलेश्वर बना दिए जाने के कारण जूना अखाड़े की बहुत किरकिरी हुई है। विवाद बहुत अधिक बढ़ जाने पर जूना अखाड़े ने 11 सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है, जिसे तीन माह के भीतर राधे मां के बारे में रिपोर्ट देनी है। पता चला है कि जांच दल इन दिनों पंजाब व दूसरे राज्यों में जाकर राधे मां के बारे में जानकारी जुटा रहा है।
सूत्रों के अनुसार जांच दल ने अभी तक जो तथ्य जुटाए हैं, वह राधे मां के सिर से महामंडलेश्वर का ताज छिनवाने के लिए पर्याप्त हैं। बताया जा रहा है कि इन तथ्यों के आधार पर राधे मां से महामंडलेश्वर की पदवी वापस लेने और अखाड़े में प्रवेश पर पाबंदी लगाने के लिए अखाड़ा स्तर पर सहमति बन गई है, लेकिन जांच जारी रहने तक कोई भी इस पर अधिकारिक रूप से बोलने के लिए तैयार नहीं है।
अखाड़े के राष्ट्रीय मंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज का कहना है कि उन्हें जांच रिपोर्ट का इंतजार है, तभी वे इस विषय में कुछ बोलेंगे। वे पहले ही कह चुके हैं कि जांच में राधे मां के आचरण को सनातन धर्म या अखाड़ा परंपरा के विरुद्ध पाए जाने की स्थिति में उनसे महामंडलेश्वर की पदवी वापस ले ली जाएगी और उन्हें अखाड़े से बहिष्कृत कर दिया जायेगा।
पदवी बचाने के लिए बढ़ी सक्रियता
इसी बीच राधे मां से जुड़ा एक बड़ा प्रभावशाली वर्ग उनकी महामंडलेश्वर की पदवी को बचाने के लिए सक्रिय हो गया है। इसमें उद्योग जगत और राजनीति से जुड़े लोग भी शामिल हैं। यहां तक कि हरिद्वार के संतों से लेकर मीडिया के लोगों तक को अपने प्रभाव में लेने का प्रयास किया जा रहा है। राधे मां के ग्रुप ने अपने जनसंपर्क अधिकारी के तौर जगमोहन गुप्ता को मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत कर दिया है, जबकि पहले यह ग्रुप मीडिया के कुछ चुनिंदा लोगों से ही बात करता था।
संतों में गुस्सा बरकरार
राधे मां को महामंडलेश्वर बनाए जाने के तौर-तरीकों को लेकर हिंदू सनातन धर्म संस्कृति के संतों का गुस्सा चरम पर है। शंकराचार्यों से जुड़ी दांडी स्वामियों की प्रमुख भूमा पीठाधीलश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने तो इसके खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा है। उन्होंने न सिर्फ राधे मां को महामंडलेश्वर बनाए जाने के औचित्य पर सवाल उठाया, बल्कि यह आशंका भी व्यक्त की कि जूना अखाड़े की जांच टीम तो वहीं रिपोर्ट देगी जो अखाड़ा चाहेगा। उन्होंने मामले की जांच के लिए देश के वरिष्ठ धर्माचार्यों और अन्य अखाड़ों के श्रीमंहतों का सहयोग लेने की बात कही।
राधे मां की महामंडलेश्वर की पदवी खतरे में
Advertisement