हरिद्वार। भारतीय साधु समाज संगठन ने साधुओं को एक आदर्श आचार संहिता के दायरे में लाने के लिए अभियान छेड़ दिया है।
हरिद्वार में रविवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में स्वामी हरिनारायणानंद ने कहा कि इस समय कुछ गलत तत्व साधुओं के वेश में साधु समाज को कलंकित करने में लगे हैं। इससे समाज में साधुओं की मर्यादा पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है। उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए 1957 के साधु रजिस्ट्रेशन-बिल को पुन: लागू किए जाने की तुरंत आवश्यकता है।
स्वामी हरिनारायणानंद का कहना था कि देश इस समय चारित्रिक संकट के दौर से गुजर रहा है। लोगों में भोगवादी प्रवृत्ति बढऩे के साथ-साथ अनुचित ढंग से धन कमाने और सत्ता प्राप्त करने के लिए भी होड़ मच गई है। और कुछ लोग यह सब प्राप्त करने के लिए साधु का वेश धारण अपने कुकृत्यों को अंजाम दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि साधुओं के आचरण को मर्यादा में बांधने के लिए इलाहाबाद कुंभ के दौरान एक जागरण अभियान चलाया जाएगा, जिसमें पांच हजार साधु महात्मा एवं सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे। स्वामी जी ने बताया कि इसके लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं हरियाणा प्रदेशों को चुना गया है। इस अभियान के लिए सौ-सौ साधुओं की टोली बनाई जाएगी, जो शेष साधु समाज को जागृत करेगी।
स्वामी जी ने इस मौके पर शिक्षण संस्थानों में वैदिक मूल्यों की रक्षा के लिए कार्य करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में प्रार्थना में पंच देवों की प्रार्थना और वैदिक मंत्रों का उच्चारण कराने की शुरुआत की जाएगी।
भारतीय साधु समाज के वरिष्ठ मंत्री महामण्डलेश्वर स्वामी श्यामसुंदरदास शास्त्री और श्रीमहंत ऋषिश्वरानंद जी भी इस मौके पर उपस्थित थे।
साधुओं पर आचार संहिता लागू करने की तैयारी
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