बिलासपुर। बिलासपुर जिले के दो दबंग कांग्रेसी- रामलाल ठाकुर और बंबर ठाकुर विधानसभा चुनाव से ठीक पूर्व गंभीर आरोपों- प्रत्यारोपों के साथ एक- दूसरे के खिलाफ तन गए हैं। पिछले चार वर्षों से चली आ रही नोकझोंक अब आरपार की जंग में बदल चुकी है। वास्तविक लड़ाई सदर विधानसभा क्षेत्र पर वर्चस्व को लेकर है।
पूर्व वनमंत्री राम लाल ठाकुर ने मीडिया में आरोप लगाया है कि सदर के विधायक बंबर ठाकुर के कथित अनैतिक कृत्यों से सरकार को 200 करोड़ रुपये का चूना लगा है, जिसमें खैर का अवैध कटान, अवैध माइनिंग और फोरलेन कार्यों में कमीशनखोरी आदि शामिल है। इसके जवाब में बंबर ठाकुर कहते हैं कि अवैध कटान और अवैध माइनिंग रामलाल ठाकुर के विधानसभा क्षेत्र श्री नयनादेवी में ही हो रहे हैं और यह सब रामलाल ठाकुर और भाजपा विधायक रणधीर शर्मा की आपसी मिलीभगत के कारण है तथा इससे उनका (बंबर ठाकुर का) कोई लेना देना नहीं है।
वैसे सभी जानते हैं कि मुद्दे चाहे कुछ भी खड़े किए गए हों, लेकिन वास्तविक लड़ाई सदर चुनाव क्षेत्र को लेकर ही है, जहां से दोनों ही एक- दूसरे को खदेड़ना चाहते हैं। इस समय बंबर ठाकुर सदर से विधायक हैं और चाहते हैं कि अगला चुनाव वे वहीं से लड़ें। लेकिन रामलाल ठाकुर इस बार वहां अपने पुत्र विकास ठाकुर को स्थापित करना चाहते हैं। पूर्व में रामलाल ठाकुर भी सदर से विधायक रह चुके हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों ही नेता बढ़चढ़ कर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का समर्थक होने का दावा करते हैं और इसी उपलब्धि के दम पर सदर सीट पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं। इसलिए दोनों मुख्यमंत्री की नजर में गिराने के लिए एक- दूसरे के मुंह पर कालिख पोतने में जुटे हैं। कांग्रेस के ये दोनों ही नेता क्षेत्र में दंगई के लिए खूब जाने जाते हैं। अधिकारियों के साथ तू- तड़ाक से बात करने में अपनी शान समझते हैं। रामलाल ठाकुर ने इसी दबंगई के कारण क्षेत्र में अपनी जमीन खोई और पिछले लगातार चार चुनावों- उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। वे अब अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।
सदर से चुनाव जीतने के बाद बंबर ठाकुर भी रामलाल ठाकुर के नक्शेकदमों पर ही चले और पूरे जिले में अपनी दबंगई के झंडे गाड़े। पत्रकार वार्ता में रामलाल ठाकुर ने भी इसका खुलासा करते हुए कहा, “विधायक बंबर ठाकुर की दादागिरी इतनी बढ़ गई है कि अगर कोई अफसर बोले तो उसे धमकाया जाता है या फिर उसका तबादला कर दिया जाता है। पूर्व में महिला आरटीओ को धमकाने का मामला हो या फिर डीएफओ के साथ मारपीट का। लोगों को सब पता है।” बंबर ठाकुर भी उन पर इसी तरह के आरोप लगाते रहे हैं। कुल मिलाकर मुकाबला बराबरी का है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास बिलासपुर सदर का यह मामला काफी समय से विचाराधीन पड़ा है। लगता है अब इसके निपटारे का समय आ गया है, क्योंकि इसमें जितनी देर होगी, पार्टी को उतना ही नुकसान उठाना पड़ेगा।