बागेश्वर। उत्तराखंड के पहाड़ों में इसे एक सकारात्मक बदलाव का संकेत माना जा सकता हैं। यहां पहाड़ीजन अभी तक जो मंदिरों में पशुबलि जारी रखने के लिए
नौलिंग देव मंदिर में पशु बलि देने की परंपरा काफी पुरानी है। दो साल पहले तक यहां नवरात्रों में देवता को तकरीबन डेढ़ सौ बकरों की बलि दी जाती थी। बाद में उच्च न्यायालय ने मंदिरों में पशुबलि पर सख्ती के साथ रोक लगाने के निर्देश दिए। आरंभ में लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन अब वे इसके लिए राजी होते नजर आ रहे हैं। इस बार बैठक में तय हुआ कि नवरात्रों में सात्विक तरीके से ही नौलिंग देवता की पूजा होगी तथा मेले को और अधिक आकर्षक बनाने के प्रयास किए जाएंगे। बैठक में मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेंद्र महर, दरबान सिंह, प्रताप सिंह, गोपाल सिंह, चंद्र सिंह, मथुरादत्त पंत, लालमणि पंत, किशोर पंत, केवलानंद पंत, प्रयाग दत्त पंत आदि उपस्थित थे।
कांडा के कालिका मंदिर में भी प्रशासन और ग्रामीणों के बीच हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि पशुबलि रोकने के लिए अदालत के फैसले पर अमल किया जाएगा और इस बार नवरात्रों में मंदिर में पंचबलि नहीं दी जाएगी। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की कि नवरात्र मेलों के दौरान यहां शराब के ठेके भी बंद रखे जाएं ताकि कानून व्यवस्था में कोई व्यवधान न आए। बैठक की अध्यक्षता एसडीएम रेखा कोहली की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तहसीलदार महेंद्र सिंह बिष्ट, पुजारी वंशीधर कांडपाल, अर्जुन माजिला, भगवत माजिला, रूपसिंह माजिला, गोपाल सिंह नगरकोटी, गुसाई राम, भगवत सिंह भौर्याल, हयात सिंह नगरकोटी, दीपचंद्र कांडपाल, नित्यानंद पांडे, आलम मेहरा, बबलू कांडपाल, प्रमोद जोशी, गंगा वर्मा आदि उपस्थित थे।