देहरादून। उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों की दयनीय हालत बयां करता 80 वर्षीय एक बुजुर्ग का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। सरकार का उपेक्षित रवैया, जंगली जानवरों का प्रकोप और रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन की कहनी सुनाते यह बुजुर्ग कहते हैं, “..सरकार हमें खुद जहर देकर मार दे। इससे तो अंग्रेजों का राज ही अच्छा था।” (देखें वीडियो)
उत्तराखंड में कुछ मीडिया कर्मी दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे थे। कंधे पर बोझा उठाए चल रहे एक फटेहाल बुजुर्ग से उन्होंने बात की तो बुजुर्ग ने खड़े- खड़े ही क्षेत्र की पूरी कहानी बयां कर दी। अनाम बुजुर्ग ने कहा, “मेरी उम्र 80 वर्ष है, मुझे कोई पेंशन नहीं मिल रही। सरकार ने हमें जंगली जानवरों- बंदरों, हाथियों, भालुओं के बीच बेसहारा छोड़ रखा है। मैं सौ नाली जमीन का मालिक हूं। किसी समय मैं 10 क्विंटल तक गेहूं बेच दिया करता था, लेकिन आज मेरे घर में एक किलो भी गेहूं नहीं है। मैंने अंग्रेजों का शासन भी देखा है। वो भी किसानों की रक्षा की बात करते थे, लेकिन अब तो हमें पूछने वाला कोई भी नहीं है। आप ही बताएं कि हम जाएं तो जाएं कहां? कैसे जिएं? ”
बुजुर्ग ने कहा, “सरकार कहती है कि यहां से रोजगार के लिए बहुत पलायन हो रहा है। अरे, जब तुम हमें यहां रहने लायक व्यवस्था ही नहीं दे रहे हो तो यहां कोई कैसे रहे? किसी समय हमारे क्षेत्र में हजारों टन अनाज का उत्पादन होता था, लेकिन आज सारी जमीनें बंजर पड़ी हैं। मेरे दो बेटे भी शहरों में मजदूरी करने पलायन कर गए। वे घरबार छोड़ कर वहां झुग्गियों में रहने को मजबूर हैं।”
बुजुर्ग ने कहा, “कोई मजदूरी भी वहीं कर सकता है जहां आबादी हो, भीख भी वहीं मांगी जा सकती है जहां लोग रहते हैं और चोरी भी वहीं की जा सकती है, जहां कुछ चुराने लायक हो। यहां क्या है? पलायन नहीं होगा तो क्या होगा? नए वर्ग के लोग तो चोरी भी कर सकते हैं, लेकिन मेरे जैसे बूढ़े के लिए तो वह भी बस की बात नहीं है। मैं तो कहता हूं कि इस गवर्नमेंट को हमें खुद जहर देकर मार देना चाहिए। आप (मीडिया के लोग) खुद हमारी हालत देख चुके हैं। नेता सबको बेवकूफ बना रहे हैं। चुनाव के समय बड़ी- बड़ी बातें करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। गरीबों के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा।”