नई दिल्ली। भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ गुस्साई जनता के सड़क पर उतर जाने के अंदेशे से केंद्र सरकार चिंतित है। खुफिया एजेंसी आईबी ने सरकार को
आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक ओडब्ल्यूएस का तरीका देश के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे आंदोलन के बीच तेजी से जोर पकड़ता जा रहा है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि यह पुलिस के परंपरागत तरीकों के लिए बड़ी चुनौती है। लिहाजा सरकार जल्द से जल्द नए उपायों पर काम करे। केंद्र सरकार की चिंता का यह भी कारण है कि देश भर की पुलिस और सुरक्षा बलों के पास भारी भीड़ से निपटने के लिए कोई सटीक उपाय नहीं है। जो उपाय फिलहाल है उसके तहत या तो हिंसा का सहारा लिया जा सकता है या भगदड़ मच सकती है। इससे हालात बेकाबू होने का खतरा बना रहता है। पुलिस के पास रबड़ बुलेट, अश्रु गैस और पानी की तेज बौछार के अलावा एके-47 जैसे घातक हथियार हैं। मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि गुस्साई भीड़ पर अश्रु गैस या रबड़ के बुलेट के इस्तेमाल से हालात और उग्र होने का खतरा बना रहता है। यह कोई आम कानून व्यवस्था के बिगडऩे का मामला नहीं है, जिसे पुलिस परंपरागत तरीके से निबटाए।
आईबी ने पूर्व टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल की अगुआई में दिल्ली के अति सुरक्षित प्रधानमंत्री निवास सहित वीआईपी के ठिकानों के घेराव की कोशिश की घटनाओं को इसी श्रेणी में रखा है। भीड़ के अचानक प्रकट होने और पुलिस के चकमा खा जाने की घटना का जिक्र खास तौर पर किया गया है। आईबी ने नर्बदा बचाओ आंदोलन द्वारा ओंकेश्वर प्रोजेक्ट और इंदिरा सागर प्रोजेक्ट में पानी के स्तर को नीचे करने के लिए चल रहे आंदोलन को भी गंभीरता से लिया है। भारत में न्यूक्लियर विरोध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर काम कर रही ग्रीन पीस ने गत 12 अगस्त को राष्ट्रपति भवन, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और विजय चौक के बीचोंबीच सड़क पर बड़े भवन के आकार का सरकार विरोधी बैनर फैला कर सुरक्षा तंत्र को सकते में डाल दिया था। (अमर उजाला, दिल्ली ब्यूरो से साभार )
‘ऑकुपाई वॉल स्ट्रीट’ की तर्ज पर आंदोलन का खतरा
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