बद्दी। GST को पूरे देश में लागू हुए एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में सरकारी लापरवाही के चलते अभी तक भी कारोबारियों से AGT (एडिशनल गुड्स टैक्स) ही वसूला जा रहा है। यहां तक कि टोल टैक्स भी अभी तक यथावत् जारी है और सरकार एवं संबंधित मंत्री इस सब से बेखबर चुनावी तैयारियों में व्यस्त हैं।
लोहा उद्योगपतियों- आरएस मलिक, राजीव सिंगला, रमेश अग्रवाल, सुरेंद्र जैन आदि कहते हैं कि GST लागू होने के बावजूद प्रदेश सरकार अभी भी प्लास्टिक गुड्स, मार्बल, लोहा, यार्न आदि पर प्रति किलो, प्रति टन व प्रति क्विंटल के हिसाब से AGT (एडिशनल गुड्स टैक्स) वसूल रही है। प्रदेश की सीमाओं पर अभी भी लोहे पर 50 रुपये प्रति टन AGT के रूप में वसूला जा रहा है, जिससे लोहा कारोबारियों को लाखों का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में तीन दर्जन से अधिक लोहा उद्योग हैं, लेकिन सरकार की गलत नीतियों के कारण एक दर्जन ही चालू हालत में बचे हैं।
बीबीएनआईए के प्रधान शैलेश अग्रवाल, यशवंत गुलेरिया, सीआईआई के पूर्व प्रधान संजय गुलेरिया, लघु उद्योग भारती के प्रदेश महामंत्री राजीव कंसल और स्टील विंग के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि GST के बाद उन्हें उम्मीद थी कि मंदी के इस दौर में प्रदेश सरकार भी उन्हें कुछ राहत को देगी, लेकिन यहां पर तो उलटी गंगा ही बहती प्रतीत हो रही है। उन्होंने बताया कि पिछले करीबन तीन चार साल से प्रदेश का लोहा उद्योग बहुत अधिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह लोहे पर से AGT तुरंत हटाए और बिजली की दरों में भी कुछ कटौती करे।
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