Warning: substr_count(): Empty substring in /home2/himnefg6/public_html/wp-content/plugins/ads-for-wp/output/functions.php on line 1274
दिल्ली हाईकोर्ट ने पितृत्व से जुड़े विवाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को डीएनए टेस्ट के लिए अपने खून का नमूना देने का आदेश दिया है। अदालत ने इससे पहले दिए गए एकल जज वाली बेंच के उस फैसले को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि तिवारी को खून की जांच के लिए नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश एके सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि अगर वो अब भी डीएनए टेस्ट के लिए खून का नमूना देने से इनकार करते हैं तो इस काम में पुलिस की मदद ली जा सकती है।
क्या है मामला
यह मामला रोहित शेखर नाम के एक युवक से जुड़ा है जो तिवारी को अपना पिता बताते हैं। शेखर का कहना है कि तिवारी के उनकी मां उज्ज्वला शर्मा के साथ गहरे ताल्लुकात थे और उन्होंने उनकी मां से शादी करने का वादा किया था जिससे वो बाद में मुकर गए।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी रोहित शेखर के दावों को गलत बताते रहे हैं।
शेखर ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर राहत जताते हुए कहा है कि अदालत पहले ही कह चुकी है कि इस मामले में डीएनए जांच से ही इंसाफ किया जा सकता है, लेकिन इस पर एक साल से अमल नहीं हो रहा था।
पिछले साल 23 सितंबर को जस्टिस गीता मित्तल ने फैसला दिया था कि ”दिसंबर 2010 के हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक तिवारी को खून का नमूना देने के लिए शारीरिक रूप से मजबूर नहीं किया जा सकता है और न ही इसके लिए उन्हें कैद किया जा सकता है।” हाई कोर्ट ने शुक्रवार को इस फैसले को पलट दिया।